आयरा में ट्रेंडिंग


क्यों न आप मुसकाएं ?
क्या लेकर आए तुम जग मेंक्या लेकर तुम जाओगे ?जीवन जीना चूक गए तुमअगर न तुम मुसकाओगे ।। जो कुछ पाया, पाया जग सेजग में ही रह जाएगा ।नेक काम जो यहाॅं करेगाजग उसका यश गाएगा ।। अन्तस से निर्देश प्राप्त करअपना काम किए जाओ ।बाधा को बाधा मत मानोमुसीबतों में मुसकाओ ।। लोभ- मोह से बचो हमेशासत्पथ पर ही सदा चलो ।दायित्वों का करो निर्वहनफौरन दुविधा से निकलो ।। है मुस्कान मनुज की शोभाचिर आनन्द प्रदात्री है ।मुख की छवि द्विगुणित कर देतीनिश्शुल्का विधात्री है ।। जो इसको धारण करता वहमीत बनाता चलता है ।सारा जग उसके गुण गातावह मरकर कब मरता है ?? मुस्कान मनुज की ऐसी निधिजो नहीं हाट में मिलती ।छीनी न किसी से जा सकतीआनन पर अनुक्षण खिलती ।। यह भुवनमोहिनी कहलातीतो क्यों न आप मुसकाएं ?कर नारायण को वशीभूतनरता को वश में पाएं ।। @ महेश चन्द्र त्रिपाठी
23 Dec '24
1 मिनट की पढ़ाई
कविता
क्यों न आप मुसकाएं ?

सोशल मीडिया पर फॉलो करें