हम उस नर के नारायण हैं

गीत

ProfileImg
29 Jan '25
1 मिनट की पढ़ाई


image

मायावी को माया से ही, सदा जा सका मारा ।

उद्धत के सॅंग उद्धत होना, है कर्तव्य हमारा ।।


क्रोधी को अक्रोध से जीतें, दुर्मुख को समझाएं ।

दान कृपण को दें, झूठे को सच का पाठ पढ़ाएं ।।

मगर नीति से विमुख नराधम, ने हो यदि ललकारा,

तब तो वीर वही है जिसने, उसे शीघ्र संहारा ।।


जहाॅं अहिंसा काम न आए, हिंसा वहाॅं उचित है ।

बल है अगर बाजुओं में तो, खल-बध सदा स-हित है ।।

करें विनष्ट आततायी को, मानवता का नारा ।

रावण को भगवान राम ने, कंस कृष्ण ने मारा ।।


न्याय-सत्य के लिए समर में, मर जाना श्रेयस्कर ।

दुष्कर्मी से क्षमा मांगकर, जीना त्रासद-दुष्कर ।।

काॅंटे को काॅंटे से बाहर- करें, न हो यदि चारा ।

करें लोककल्याण, गीत गाएगा कविकुल सारा ।।


जो करते लोकोपकार वे, जग में सुयश कमाते ।

अपने पुण्यार्जन के बल पर, दिव्य परमपद पाते ।।

किसी जरूरतमंद के लिए, आओ बनें सहारा ।

हम उस नर के नारायण हैं, जिसने हमें पुकारा ।।


@ महेश चन्द्र त्रिपाठी

कैटेगरी:कविता



ProfileImg

इसके लेखक हैं Mahesh Chandra Tripathi

0 फॉलोअर

0 फॉलोइंग / फॉलो कर रहे हैं