हकीकत (लघुकथा)

हकीकत (लघुकथा)



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रात के 2 बजने को आए थे, लेकिन नेहा को नींद नहीं आ पा रही थी। आज कुछ घन्टों पहले जो कुछ उसने देखा-सुना था, उस सब ने उसकी नींद उड़ा दी थी। नेहा ने आज जो दृश्य देखा, उस पर उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था। उस दृश्य को देखने के बाद वो सोच में पड़ गई थी कि आज के मॉर्डन समय में एक वेल एजुकेटेड फैमिली में भी ऐसा कैसे हो सकता है? नेहा ने इसी हफ्ते ही पॉश एरिये में बने अपने इस नए फ्लैट में शिफ्ट किया था। 
  आज रात करीब 10 बजे सामने वाले फ्लैट में उसने एक अधेड़ उम्र की महिला को पशुओं की तरह पिटते देखा था। नशे की हालत में उस महिला का पति उसे बुरी तरह पीट रहा था और वो महिला इसका कोई प्रतिरोध करती नहीं दिख रही थी। वो महिला सिर्फ अपने बचाव का ही प्रयास कर रही थी, क्योंकि शायद उसने इस पिटाई को अपनी नियति मान लिया था? 
  नेहा उस महिला को पहले से ही अच्छी तरह पहचानती थी। वो महिला कोई  पुराने जमाने की अनपढ़, गंवार सीधी-साधी आम ग्रामीण महिला नहीं है, बल्कि वो एक उच्च शिक्षा प्राप्त 
आधुनिक शहरी महिला है। सिर्फ यही नहीं वो स्त्री, महिलाओं के हक की आवाज उठाने के लिए और उन्हें न्याय दिलाने के लिए बनी संस्था 'पीड़ित महिला संघर्ष समिति' की अध्यक्ष ममता सिंह है।
  सहसा नेहा को एक पुरानी घटना याद आ गई, जब एक दिन उसकी किसी गलती पर गुस्सा होकर उसके पति दीपक ने उसको एक चांटा जड़ दिया था। हालांकि दीपक ने गुस्सा शांत होने के बाद अपनी गलती मानकर उससे माफी भी मांग ली थी। लेकिन इसके बावजूद भी वो दीपक पर बुरी तरह से बिफर पड़ी थी। उसने दीपक को अगली बार उसके ऐसा करने पर  घर छोड़कर जाने की चेतावनी तक दे डाली थी। साथ ही इस अन्याय के खिलाफ इन्ही ममता सिंह के पास जाने की धमकी भी दी थी।
  आज उसने देखा तो वही 'पीड़ित महिला संघर्ष समिति' की अध्यक्ष ममता सिंह खुद अपने घर में पीड़ित हैं और स्वयं के विरुद्ध हो रहे अन्याय को सह रही हैं। ऊपर से हैरानी की बात ये कि इसके विरुद्ध आवाज उठाने का प्रयास भी नहीं कर रहीं। जब महिलाओं के हक की बात करने वाली, महिलाओं की आदर्श ममता खुद अपने हक के लिए नहीं लड़ पा रहीं, तो दूसरों के हक के लिए क्या खाक लड़ाई लड़ेंगी? नेहा की परेशानी का कारण यही सवाल था, जिसने उसे बेचैन कर दिया था। ये हकीकत सामने आने के बाद उसे अतीत में ममता सिंह के मुंह से सुनी हुई उनकी न्याय और महिला सशक्तिकरण की आदर्श बातें खोखली लगीं।

कैटेगरी:कहानियां



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इसके लेखक हैं पुनीत शर्मा (काफिर चंदौसवी)

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writer, poet and blogger