कैसे होली हो कवियों की,
कवियों की कैसे हो होली ?
मां के मस्तक का उड़ा रंग
घायल है उसका अंग अंग
हो मणिपुर केरल याकि बंग
सत्ता ने मधुशाला खोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
नेता दिल्ली मे ऐश करें
दुख दर्द देश के वे न हरें
सैनिक सीमा पर लड़ें मरें
सिर उड़ जाएं खाकर गोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
सुरसा-सी बढ़ती मंहगाई
नित नई मुसीबत है लाई
शासन ने पीड़ा पहुंचाई
लाशों की लगा लगा बोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
सुन सुन होती है हैरानी
रो रो जीता हिन्दुस्तानी
चेहरे से उतर गया पानी
पानी मे भांग गई घोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
स्वार्थी हो गया मानव-मन
बढ़ता जाता है काला धन
पग पग पर अड़चन ही अड़चन
दागी दामन, चीकट चोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
अनुदिन फैशन की पौ बारह
हो गई लाज नौ दो ग्यारह
आदर्श समस्त गए हैं ढह
हुई अनावृत हंसी-ठिठोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
हो रहा जमा मानस मे मल
हो पाती नहीं समस्या हल
चाहे घृत हो अथवा डीजल
रोके न रुक रही घटतोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
बढ़ता जाता आतंकवाद
नारी की काया पर विवाद
कृषकों को मिलते बीज-खाद
रेहन रख इज्जत की झोली ।
कवियों की कैसे हो होली ?
©® महेश चन्द्र त्रिपाठी
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