घर की रौनक बेटीया

जीवन की सुंदरता और शक्ति"संसार बेटीया

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24 Aug '24
2 मिनट की पढ़ाई


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संसार को संसार बनाती हैं बेटियां,  
सपनों को साकार कर जाती हैं बेटियां।  
जैसे धूप में छांव का एहसास हो,  
वैसे ही घर को महकाती हैं बेटियां।  

माँ की ममता, पिता का प्यार होती हैं,  
भाई की हंसी, बहन का संगीत होती हैं।  
हर रिश्ते की आन, हर बंधन की पहचान,  
दिल की धड़कन, सांसों की लहर होती हैं।  

कभी माटी में रंग भरने वाली,  
कभी आकाश को छूने वाली।  
कभी प्रेम की बांसुरी बजाती,  
तो कभी संघर्ष में चमक जाती हैं बेटियां।  

संसार को नया रूप देती हैं,  
हर कठिनाई में साथ रहती हैं।  
ममता, प्रेम, और त्याग की मूरत,  
इस धरती को स्वर्ग बनाती हैं बेटियां।  

बिना कहे हर दर्द को समझ जाती हैं,  उसकी मोतियो  की मुस्कान में खुशियाँ बिखर जाती हैं।  
ये दुनिया ऐसे ही नहीं सुंदर लगती,  
जब अपना आंचल फैलाती हैं बेटियां।  

संसार की नींव को मजबूत करती हैं,  
हर कठिनाई को सहज करती हैं।  
सच्चे अर्थों में जीवन का सार,  
संसार को संसार बनाती हैं बेटियां।  

बेटीया, संसार की सौगात हैं प्यारी,  
प्यार और आशा की ये दिव्य कारी।  
सपनों के रंग में, जीवन को रंगीन करें,  
हर दिल को छूकर, खुशियों की धुन सुनाएं।  

माँ की ममता की छांव, पिता की सुरक्षा की छाया,  
इनकी मासूम हंसी में बसी, हर ख्वाब की माया।  
संघर्ष की राह पर ये, दीपक सा जलें,  
हर मुश्किल को पार कर, नयी राह दिखलाएँ।  

सपनों की चादर में, जिनके रंग बिखरे हैं,  
आशा और उजाले की, किरणें जो बिखरें हैं।  
इनकी हंसी से बसी है, हर घर की रौनक,  
इनकी मेहनत और प्यार, है जीवन की सौगात।  

संसार को संजीवनी, बेटियों की है ये शक्ति,  
हर दिल में बसी हैं, खुशी की ये अजीब जोड़ी।  
इनकी उपस्थिति से ही, जीवन में खिलता फूल,  
संसार को सुंदर बनाने की, है ये अनमोल धूल। 

  (रघुवीर सिंह पंवार)

कैटेगरी:कविता



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इसके लेखक हैं Raghuvir Singh Panwar

लेखक सम्पादत साप्ताहिक समाचार थीम

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