नारियाँ पहनतीं जींस टाॅप
नारियाँ विमान उड़ाती हैं ।
वे अन्तरिक्ष की यात्रा पर
बेखौफ बेधड़क जाती हैं ।।
अपने अर्जन से वस्त्र पहन
अपने अर्जन का खाती हैं ।
अपना हक हक से ले लेतीं
वे हाथ नहीं फैलाती हैं ।।
वे गुपचुप बात नहीं करतीं
वे आँसू नहीं बहाती हैं ।
तम-सीलन भरी कोठरी में
वे जीवन नहीं बिताती हैं ।।
वे नहीं झिझकतीं-सकुचातीं
बेवजह नहीं शरमातीं हैं ।
पुरुषों की तरह जिन्दगी के
लम्हों का लुत्फ उठाती हैं ।।
शादी तक सिमट न रह जातीं
हँस नर से हाथ मिलाती हैं ।
कमनीय कुलाँचें भरतीं वे
मंजिल तक दौड़ लगाती हैं ।।
अपना अवलम्ब आप बनतीं
देतीं अपनों को अवलम्बन ।
नारियाँ चण्डिका बन करतीं
अपने अरियों का मद-मर्दन ।।
नारी होना है बड़ी बात
यह नररत्नों को पता चले ।
इस हेतु निरन्तर यत्नशील
रहतीं अवनी पर, व्योम तले ।।
आनेवाला युग नारी का
यह सारे नर हैं गए जान ।
नारियाँ छू रहीं बुलन्दियाँ
भौंचक नरता के खड़े कान ।।
©® महेश चन्द्र त्रिपाठी
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