जब भी दुनिया से ऊब जाता हूँ
तेरी यादों के समुंदर में डूब जाता हूँ।
चेहरे से कोई गम को पढ़ न ले,
इसलिए कुछ ज्यादा ही मुस्कुराता हूँ।
भीगी पलकों का किसी को पता न चले,
इसलिए अश्कों को नहीं बहाता हूँ।
मिली है मुझको जीने की सजा,
बस इसीलिए ही जिए जाता हूँ।
- काफिर चंदौसवी
writer, poet and blogger
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