हम अक्सर यही सोचते हैं कि जीवन में आगे कैसे बढ़ें…। परन्तु अधिकांश को वैसी राह नहीं मिल पाती… जैसी व्यक्ति चाहता है…। वास्तविकता यही है कि राह कभी मिलती ही नहीं… अपनी राह बनानी होती है…। अधिकतर युवाओं को यह कहते हुए सुना होगा कि मुझे उस सफल व्यक्ति जैसा बनना है…? इसके बारे यही कहना चाहूंगा कि कोई भी व्यक्ति किसी के जैसा न तो बन सकता है और न ही बनने का प्रयास करना चाहिए…। पहचान स्वयं की बनती है… आप स्वयं एक पहचान हैं… लेकिन आप इसे जानते नहीं…। जिस दिन जान लोगे… आपके रास्ते खुलते चले जाएंगे…।
आज हर किसी को यह तो पता होता है… कि किस समय क्या बोलना है… जिनको बोलना नहीं आता, वह आगे बढ़ भी नहीं सकता। लेकिन यह किसी को नहीं पता कि क्या नहीं बोलना है…। फिर से दोहरा रहा हूँ क्या नहीं बोलना है। अगर आज के युवाओं को “क्या नहीं बोलना है” की समझ आ गई तो वह सब जगह बेहतर परिणाम ही देगा। आज के समय में आपके परिश्रम के हिसाब से कोई भी काम नहीं देता… आपका व्यवहार कैसा है… यह देखा जाता है…। आपके अंदर कार्य के प्रति विनम्रता कितनी है… यह देखा जाता है…। विनम्रता एक ऐसी चीज है जो काम के बोझ को कम कर देता है या उसे इतना सरल बना देता है… कि कोई भी कार्य आसानी से हो जाता है। यह हमारे स्वयं पर निर्भर करता है कि हम अपने जीवन को कैसा बनाना चाहते हैं… सरल या कठिन…? तय आपको करना है…। तो आज ही अपने व्यवहार को शालीन बनाइए और हर कार्य को विनम्रता पूर्वक कीजिए… काम में मन लगेगा तो जीवन जीने का अंदाज बदल जाएगा…। परन्तु एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि हर जगह अपनी बुद्धि का परिचय मत दीजिए…। लोग मजाक उड़ाएंगे…। कहा जाता है मूर्खों के आगे चुप रहना ही बेहतर है…। आप अपने आपको जितने अच्छे तरीके से प्रस्तुत करेंगे.. वही आपका व्यवहार बन जाएगा। अभी से करो, क्योंकि कल कभी आता नहीं…।
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