नामुमकिन को मुमकिन कर
मैं एक इकरार करता हूँ
तुम्हें पाने की हर कोशिश
मैं हर बार करता हूँ
जमाना क्या कभी समझेगा हमदोनों का ये रिश्ता
तू मुझसे प्यार करती है
मैं तुझसे प्यार करता हूँ
सड़क लम्बी हो या छोटी
सफर होता है सुहाना
जो तू साथ ना होती
तो लगता है वीराना
तू मेरी दीवानी है मैं तेरा दीवाना हूँ
जो तू मिल गई तो जिंदा हूँ वरना गुजरा जमाना हूँ
कोई किस्सा कभी बढ़ कर कोई दास्तान बन बैठा
किसी अजनबी से यूं मिलकर कोई अनजान बन बैठा
अभी तक टूटते देखे है हमने भी कई रिश्तें
मगर हम जान बन बैठे यही पहचान बन बैठा
लड़खड़ाती मोहब्बत तो कहीं दम तोड़ देती है
मस्ती में कभी कश्ती किनारा छोड़ देती है
नई मंजिल नया रस्ता भी तो कल मोड़ देती है
मुसाफिर भी बदलते है अपने इरादों को
कभी हालात तो कभी हाल यूँ दम तोड़ देती है
कल तुम भी अकेली थी और हम भी अकेले थे
था नभ में चाँद फिर तन्हा सितारों के मेले थे
थोड़ा सा पास तुम आई थोड़ा सा पास मैं आया
अब बस हम ही हम लिपटे दूर सारे झमेले थे
जिसे दुनिया समझती हो वो बस एक छोटा समाज है
या यूँ समझो कि भड़की है कोई जंगल की आग है
हमारी जोड़ी सावन सी झमाझम बरसात है
कब तक धधकेगी ये दुनिया हम से जल के यूँ
कभी लपटों सी उठती है कभी करती है धूं-धूं धूं-धूं
सभी बुझ जायेंगे एक दिन समय के साथ मलवे बन
जो कल तक ताने कसते थे वो खाक है वो राख है
नदी सी बहती रहना तुम मैं सागर सा ठहरा हूँ
कोई छू कर तो देखे मैं बड़ा ही सख्त पहरा हूँ
तुम एवरेस्ट सी अडिग ऊँची
मैं मेरियाना सा गहरा हूँ
पिघली है हिमानी तो नदी में आज पानी है
जो तड़पे है जो तरसे है उन्हीं की ये कहानी है
समय के साथ जो दब गए तो बस समझो की है अवशेष
जो जम गये तो कुछ बन गए जिसे कहते जवानी है
अगर हम साथ है तो है जिंदा दिल कि रवानी है
साँसे चल रही अविरल धड़कन में भी वाणी है
मिलो तो यूँ मिलो हमसे जैसे चंदन और पानी है
वरना यूँ दूर से भी क्या कभी कोई जिंदगानी है
वरना यूँ दूर से भी क्या कभी कोई जिंदगानी है
✍️ shabdon_ke_ashish ✍️
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