ऐसे भाव भर दिए तुमने

ProfileImg
01 Jun '24
1 min read


image

 

ऐसे भाव भर दिए तुमने

हर पीड़ा मधुमय लगती है।*

सहता हूं ठोकरें अहर्निश

लेकिन आह नहीं भरता हूं।

मैं शूलों को फूल मानकर 

राहें नई रचा करता हूं।।

जन्मा है बुद्धत्व हृदय में

हार-जीत अभिनय लगती है।

ऐसे भाव भर दिए तुमने 

हर पीड़ा मधुमय लगती है ।।१।।

तुमको पाकर लगा कि जैसे

मेरा सोया भाग्य जगा है।

अब तक वशीभूत रख मन को

मायाविनि ने मुझे ठगा है।।

कृपा तुम्हारी मिलते ही अब

मुझ पर नियति सदय लगती है।

ऐसे भाव भर दिए तुमने 

हर पीड़ा मधुमय लगती है।।२।।

नई चेतना, नव बल पाकर

भूल गया हर बात पुरानी।

शपथपूर्वक कहता हूं मैं

नहीं करूंगा अब नादानी।

तुम मेरे जीवनाधार हो

तव छवि मंगलमय लगती है।

ऐसे भाव भर दिए तुमने 

हर पीड़ा मधुमय लगती है।।३।।

 महेश चन्द्र त्रिपाठी

Category:Poem



ProfileImg

Written by Mahesh Chandra Tripathi