"साधना से प्रारंभ करके प्रत्येक व्यक्ति तक योग की पहुंच"
योग एक साधना के सफ़र को पूरा करता हुआ आज प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बनने को तैयार है। कोई योग को अपने मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान केंद्रित करके अपनी दिनचर्या को पूरा करता है तो किसी ने योग के विभिन्न आसनों का अभ्यास करके अपने आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाया है।प्रत्येक व्यक्ति अब योग साधना के महत्व को समझने लगा है।वैदिक काल से लेकर अब तक कोई भी भारतीय दर्शन देखें तो सभी में किसी न किसी रूप में योग को अपनाने की बात कही गई है।योग की ही एक क्रिया है ॐ उच्चारण ।जो ध्यान केंद्रित करने की एक सुगम परन्तु अत्यंत कारगर प्रक्रिया है। जिसका प्रयोग प्राचीन समय से भारत में एक साधना कि प्रक्रिया समझी जाती थी लेकिन आधुनिक परिवेश में जहां एक ओर तकनीकी क्षेत्र में इतने विकास हुए हैं वहीं इन सभी सुविधाओं के कारण प्रत्येक व्यक्ति में धैर्य जैसे संवेग खत्म होते जा रहे हैं।जिसके कारण बड़ों से लेकर छोटे बच्चे तक तनाव , चिंता और क्रोध जैसी नकारात्मक संवेगों के प्रभाव से जकड़ते जा रहें हैं।अतः आज मनुष्य को अपनी प्रत्येक अवस्था में चाहें वृद्धावस्था, प्रौढ़ावस्था हो अथवा किशोरावस्था सभी में स्वयं को समायोजित और संतुलित रखने हेतु योग और ॐ उच्चारण की प्रक्रिया का प्रयोग अपनी दैनिक दिन चर्या में समाहित करने की अत्यंत आवश्यकता होगी।
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