एक आदत सी हो गयी है चोट खाने की
भीगी हुए पलकों संग मुस्कुराने की,
काश अंजाम वफ़ा का पहले ही जानते..
तो कोशिश भी नहीं करते दिल लगाने की! 💔
किसको सुनाएं जाकर अपने गम का तराना,
पत्थर के दिल वालों ने मेरा दर्द नहीं जाना।
हो करके भी वह जुदा जिंदगी कर गई खराब,
जुदाई का गम भुलाने के लिए पीना पड़ी शराब ।
दिल में छुपा के प्यार के तूफान तेरे लिए ,
क्या-क्या नहीं किया मेरी जान तेरे लिए।
आज दिल में मिरे भरे हैं जो
लफ़्ज़ तेरे खरे खरे हैं जो
देखकर यूँ मुझे परेशां तुम
आम इंसा से हम परे हैं जो
कस्मेवादे सभी तुम्हारे थे
याद बनके धरे धरे हैं जो
साथ मेरे यहाँ रहोगे तुम
ये इरादे मरे मरे हैं जो
सब बयाँ कर गये कहानी में
अश्क़ आँखों में ये झरे हैं जो
साथ तुझको मैं ग़ैर के देखूँ
ज़ख़्म दिल के हरे हरे हैं ।
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