तुम बिन...

तुम बिन....

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01 Jun '24
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तुम बिन…।

जाऊं किधर?

कुछ भी आराम नहीं।

इस दिल को करार नहीं।

तुम बिन….

अब इस दिल को कौन समझाएं?

तुम्हें छोड़कर इसे कोई लुभाता नहीं।

तुम हो इतनी खूबसूरत 

तुम्हारी चेहरे से निगाहें हटती नहीं।

तुम बिन….।

   : कुमार किशन कीर्ति।

Category:Poem



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Written by Kumar kishan kirti

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