बिना मां के

जीवन

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21 May '24
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मां 

तेरे होने से सब कुछ था

तेरे नही होने से कुछ भी नही 

देख मां तेरा बेटा अब बड़ा होने लग गया है 

अपने पैरो पर खड़ा होने लग गया है 

तुतला कर बोलने वाला अब सब कुछ साफ साफ बोलता है 

तेरी उंगली पकड़ चलने वाला अब बिना सहारे चलता है 

तेरी बात ना मानने वाला जमाने भर की सुनता है 

पर सच ये भी है मां की तेरे बेटे की कोई नही सुनता है 

तेरे बार बार पुकारने पर भी नही जागने वाला तेरा ये बेटा अब बिना किसी जगाए जगना सीख रहा है

थोड़ा बहुत जमाने के रंग में ढलना सीख रहा है 

तू जो हर बात पर पापा का डर दिखाती रहती थी 

और पापा कुछ कहते थे तो बीच में बचाती रहती थी 

मां तेरे जाने के बाद अब तो पापा ने भी डाटना छोड़ दिया है 

यूं लगता है जैसे सबने मुझसे मुंह मोड़ लिया है 

और हां मां 

मैं जो तेरे खाने में नुक्स निकालने वाला 

अब तो जो मिलता है खा लेता हूं

मां थोड़ी जली थोड़ी कच्ची रोटी भी बना लेता हूं

मां पर उंगलियां जब जब जलती है मेरी 

तब और ज्यादा कमी खलती है तेरी 

अब तो ठंडी रोटी भी खा कर सो जाता हूं 

घर अगर देरी से आऊं तो भूखा भी सो जाता हूं 

और मां 

देख अब तो मुझे रोकता टोकता भी नही है कोई 

मेरी उदासी देखता भी नही है कोई

तेरी डाट तेरा प्यार थी ये अब समझ में आया है 

जब ये जीवन तेरे बिना बिताया है 

मां तेरी कमी मुझे बड़ा तड़पाती है 

हर शाम घर जाता हूं और आंख भर आती है

सच तो ये है जिंदगी बेरंग है तेरे बिना

एक सच ये भी की तेरी हर पल याद आती है

पवन✍️




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Written by Pawan Kumar

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