आगे बढ़ने के लिए हमे बहरा बनना पढ़ेगा

कामयाबी का राज

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28 May '24
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यदि जीवन में कामयाब होना है तो हमे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा हमें समस्याओं से  डर कर नहीं बल्कि समस्याओं का डटकर मुकाबला करना होगा. हमें छोटी मोटी समस्याओं से घबराकर अपने कृत्य पथ से विमुख नहीं होना  है।  हमें निरन्तर अपने कार्य को गति देना होगी। तभी आगे जाकर सफलता प्राप्त हो पाएगी। कोन क्या कह रहा है? क्या नहीं कर रहा ? इन शब्दों पर हमें ध्यान नहीं देना है ,ये वही लोग है,जो आज आपको हँसी का पात्र मान रहे हे। लेकिन  जब आप कामयाब हो जाओगे  तो वही लोग जो आपकी आलोचना कर रहे थे , आपको बदनाम कर रहे थे| आपकी तारीफ करेंगे और कहेंगे हमे तो मालूम था। आप सफल हो जाओगें।

 संसार का नियम है, लोग उगते सूर्य को नमस्कार करते हैं,  ढलते दिन को नहीं । तुम अपनी खूबियां ढूडते जाओ ,खामीया निकालने के लिए तो लाखों लोग मिलते जाएगें। क्योंकि यह काम वही लोग करेंगे जिनका कोई वजूद नहीं है।  जिस कार्य को करने के लिए आपने कदम उठाया है ,उसको असफल करने के लिए कई लोगों ने इस धरा पर जन्म लिया है। उनका कार्य ही यही हे - लेकिन आप अपने कान में रुई लगाकर उनकी नकारात्मक बात को नजरअंदाज करके अपने मिशन में डटे रहो.|

आपको कामयाबी  निशचित मिलेगी। सपने देखने है तो ऊँचे देखो , और जी तोड़ मेहनत करो सपने आपके पूरे होंगे। जीवन मे जब हम  निराश हो जाते है ,  अपने आपको  कोसते हैं- भला बुरा कहते है ,दोस्तों को परिवार को अपनी असफलता का कारण मानते है , यह गलत धारणा मन से निकाल दो  |  हमारी असफलता का कारण   हमारे  कार्य करने में कमी  रही होगी |  हम अपनी कमीयो को खोजकर उन्हें सुधारे और कार्य करते रहे हम अपनी कामयाबी के प्रति जितनी लगन एवं कृत्वर्य निष्ठा से कार्य करेंगे उतना अच्छा परिणाम हमें प्राप्त होगा|  अपने कार्य को भविष्य के भरोसे न छोड़े अपने कार्य को लगातार करते रहें।

इसी बात पर एक कहानीकार की एक कहानी से हमें सीख  मिलती है | 

  एक बार  मेंढकों  की प्रतियोगिता का आयोजन हुवा सभी मेंढक एक पहाड़ी पर गए मेंढकों के सरदार ने कहा अब मेरी उम्र हो गई मैं अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता हूं ,लेकिन बनाऊं किसको  सभी मेरी बिरादरी के मेंढक योग्य है। अब चयन यह करना की  सबसे ज्यादा योग्य कौन हैं।  इसलिए मेने  इस प्रतियोगिता का आयोजन करने का निर्णय लिया। अब आप सभी इस पहाड़ी पर चढ़कर बताओ' जो मेडक पहाड़ी पर   चढ़ जाएगा वहीं  मेंढकों का सरदार बनेगा. सभी मेंढक पहाड़ी पर चढने लगे, कुछ निचे गिरे, कोई बीच तक गया | 

कोई जख्मी भी हुवा ? सभी जोर-जोर से आवाज कर रहे थे। कुछ थक कर गिर गए। कुछ जख्मी हो गए। लेकीन उनमे से एक मेंढक  आगे बढ़ता ही गया । बाकी मेंढक  चिल्ला रहे थे। एक मेडक पहाड़ी पर चढ़ गया। सरदार ने कहा  ये  उपर कैसे चढ़ गया। सभी चिल्ला रहे थे, उपर मत चढ़  खतरा है। गीर जाएगा। फिर भी ये आगे बढ़ता गया। फिर उस मेंढक से पूछा तुझे हम मना कर थे आगे खतरा है। जिसके बाद भी तू हमारी बात पर ध्यान नहीं दे रहा था। वह मेंढक  बोला मुझे कम सुनाई देता है. तुम चिल्ला रहे थे तो मुझे लग रहा था की तुम सभी मेरा उत्साह बड़ा रहे हो,   ऐसा सोचकर में आगे निकल  गया | यही सार है कि संसार के लोगो की बातो  पर ध्यान न देते हुए हमें अपने संकल्प को लेकर कार्य करते रहना  ही सफलता है | इस कहानी से हमें यह क्षिक्षा मिलती है | 

Category:Education



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Written by Raghuvir Singh Panwar

लेखक सम्पादत साप्ताहिक समाचार थीम