क्यों गुमसुम सा मन...

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26 Apr '24
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क्यों गुमसुम सा मन? 

है चुपचाप यूं, आखिर क्यों है

मिलने की आस, आज 

 

ये उदासी सी बात,

आखिर क्यों है इतनी आज, खास?

 

क्यों गुमसुम सा मन ?

लगने नही दे रहा आज किसी में मन

क्यों सोच में डूबे हुए हो तुम

 

क्यो गुमसुम सा मन?

क्या सच में डूबे हो, किसी की यादों में तुम!

 

 चलो अब मिल ही लो, 

मनमानी अपनी कर ही लो,

तोड़ो अब तो अपनी चुप्पी,

 

क्यों गुमसुम सा मन?

अब है न मिलने की तैयारी, तभी तो  मिलेगी  तुम्हे अपने गुमसुम से आजादी!

 

डूबो तुम अपनी सोच में

रहो तुम अपने इसी परिवेश में 

क्यों गुमसुम सा मन…?

 

 

 

 

 

 

 

Category:Poem



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Written by Gayatri Mishra Mishra

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