जैसे ही सूर्या अदवय के रूम में घुसी । तो वो देखी ! की अदवय अभी भी सो ही रहा था ।
तब सूर्या धीरे से अदवय के पास गई । और चुप चाप अदवय को देख रही थी । थोड़ी देर बाद सूर्या वहा से धीरे से ही जाने लगी थी ।
लेकिन अदवय फिर से जान गया । और फिर से सूर्या का हाथ पकड़ के अपनी ओर खींच लिया । जिससे सूर्या अदवय के ऊपर गिर गई । और फिर दोनो एक–दूसरे की आखों में देखने लगे थे ।
थोड़ी ही देर में सूर्या उसके ऊपर से हटने लगी ! लेकिन अदवय ने उसे फिर से अपनी तरफ खीच लिया ! और फिर से सूर्या उसके ऊपर आ गई !
और फिर अदवय ने अपने एक हाथ से उसके कमर को कस के पकड़ लिया ! जिससे वो वहा से उठ ना पाए ! और फिर उससे गुस्से से देखते हुए बोला !
तुम क्यू आती हो मेरे पास ! हा , तुम्हे देखता हूं ! अजीब सी बेचैनी होती है ! जो ना तो मुझे समझ में आती है ! और ना ही उसका कोई सॉल्यूशन मिलता है !
चली जाओ यहां से अभी के अभी ! नही तो तुम्हारे साथ जो भी होगा ! उसकी जिम्मेदार तुम खुद रहोगी ! जाओ जाओ....! चिल्लाते हुए ।
तभी सूर्या उसकी बातो को सुन के वहा से तुरंत ही उठ गई ! और फिर तुरंत ही वहा से निकल गई ।
जैसे ही सूर्या अपने घर पहुंची तो वहा सुमन जी उसका इंतजार कर रही थी !
सूर्या आते ही सुमन जी से बोली !" मां बहुत तेज से भूख लगी है ! खाना दे दो ।"
तब फिर से सूर्या बोली । " हां मां मैं गई थी ! इसीलिए तो मुझे घर आने में लेट हो गया ।और हा अदवय अब ठीक है ! दो–तीन दिन में डिस्चार्ज भी हो जायेगा ।"
तब सुमन जी एक गहरी सांस ली । और फिर बोली । “हे शिव जी उस बच्चे पर कितना केहर ढाओगे । बस आप से यही बिनती है । उस बिन मां के बच्चे का ख्याल रखना ।”
अपनी मां की बाते सुन के सूर्या भी भगवान जी प्राथना करने लगी ।
और थोड़ी देर कुछ सोचने लगी थी । फिर अपनी प्लेट किचन में रख के और हाथ धो के वहा से अपने कमरे में चली गई ।
और कमरे में जाते ही शैली सूर्या से तुरंत पूछने लगी ।" क्या यार कहा रह गई थी । तुम्हे पता है आंटी कितना परेशान हो गई थी । और तेरा फ़ोन भी नहीं लग रहा था ।"
“थी कहा़ तू बताएगी कुछ ।”
तब सूर्या बोली ।" एक साथ इतने सवाल पूछेगी तो कैसे बताएगी, हां वो मैं अदवय से मिलने गई थी ।और उसे देखना भी था इसीलिए गई थी ।"
फिर शैली बोली ।"तुम दोनो का तो मुझे कुछ समझ ही नही आता है । दोनो एक–दूसरे से लड़ते भी रहते हो और मिले बिना रह भी नही पाते हो ।"
शैली की बातो से सूर्या को बुरा लगता तो है । लेकिन सूर्या शैली की बातो को उतना शिरियस लेती ही नही ।
और फिर सूर्या शैली से बोली ।"अच्छा मेरी दादी अम्मा सो जा रात बहोत हो गई है । Good night 🌉🌃 "बोल के सूर्या सोने के लिए अपने बिस्तर पे चली गई ।
तब शैली भी सूर्या को" Good night" बोल के सो गई ।
अगले दिन सुबह सूर्या और शैली दोनो जल्दी ही उठ गई थीं । और तैयार हो कर अपने कमरे से बाहर आ गई । तो सुमन जी उन दोनो से पूछी ।
"अरे ! आज इतनी जल्दी क्या हुआ ।" तभी सूर्या हड़बड़ा के बोली ।"हां मां वो आज कॉलेज में कुछ काम है ! थोड़ा जल्दी जाना है । इसीलिए ।"
तब सुमन जी बोली ।"अच्छा 2 मिनट रुको मैं तुम दोनो का नाश्ता लगा देती हूं ।"
इतना बोल के सुमन जी किचन में चली गई । तब शैली सूर्या से पूछी ।"क्या बात है । सूर्या कल रात को भी तूने कुछ बताया नहीं ।"
“और आज सुबह भी जल्दी कॉलेज जाने को बोल के कुछ बता नही रही हो, बात क्या है । चल क्या रहा है तेरे दिमाग में ।”
तब सूर्या बोली ।"कोई बात नही है । कॉलेज में कुछ काम है ।इसीलिए जल्दी जा रहे है ।"
“मां प्लीज थोड़ा जल्दी लेट हो रहा है । कॉलेज के लिए ।”
तभी अंदर से आवाज़ आयी । “हां ला रही बस 2 मिनट ।”
तभी सुमन जी दोनो का नाश्ता ले कर आ गई ।
सूर्या और शैली नाश्ता कर के कॉलेज के लिए अपनी स्कूटी से निकल गई ।
जैसे ही सूर्या और शैली अपने कॉलेज पहुंची । तो वहा अदवय को देख थोड़ा शॉक्ड हो गई ।
अदवय कॉलेज में आ तो गया था । लेकिन अभी अदवय पूरी तरह से ठीक नही था । और डॉक्टर ने भी अदवय को full rest करने को बोला था ।
लेकिन अदवय के ज़िद के आगे किसकी चलती थी । वो करता वही है । जो उसका मन करता है ।
लेकिन जब सूर्या अदवय को कॉलेज में देखी । तो तुरंत अदवय के पास जने की कोसिस करने लगी थी । तभी वहा प्रोफेसर शुक्ला आ गए ।
और " सबको क्लास रूम में चलने को" बोल दिए । तब सभी लोग क्लास रूम की तरफ जने लगे । लेकिन सूर्या वहीं रुक गई थी ।
सूर्या को वहा रुका देख अदवय भी वही ठहर गया । फिर दोनो एक–दूसरे को देखने लगे । और फिर अचानक से अदवय वहा से अपने क्लास रूम में चला गया ।
दोनो क्लास रूम में भी एक–दूसरे के बारे में ही सोच रहे थे ।
जैसे ही क्लास खत्म हुई । और सारे स्टूडेंट बाहर चले गए । तब सूर्या अदवय के पास गई । और अदवय से पूछने लगी ।
“अभी कैसी है तबीयत तुम्हारी , तुम्हे अभी कॉलेज नही आना चाहिए था ! डॉक्टर ने तुम्हे आराम करने को बोला है । न । ”
अदवय सूर्या की बातो को सुन कर इरिटेट हो रहा था । तभी झटके से अदवय उठ कर सूर्या के सोल्डर को कस के पकड़ लिया ।
और फिर उसके एक हाथ को मोड़ते हुए सूर्या को दीवार तक ले गया । और फिर से सूर्या दीवार से लगा दिया ! और फिर से उसके कोमल होठो को अपने सख्त होठों से दबा दिया ! और फिर उसके होठों को चूसने लगा था ।
लेकिन सूर्या के साथ ये हरकत अचानक से होने के कारण वह थोड़ा शॉक्ड तो हो गई थी ।
लेकिन सूर्या अपनी पूरी ताकत लगा के पहाड़ जैसे अदवय को खुद से दूर तो कर दी ।
लेकिन अदवय अभी भी बहुत ज्यादे गुस्से में ही था । और फिर सूर्या को वहा से भागता देख बोला ।" जानना चाहती थी ! न कैसा हुं मैं अब जान लिया न ।"
सूर्या वहा थोड़ी देर ठहरती है । और फिर वहा से भाग गई ।
सूर्या तो वहा से भाग गई । लेकिन शैली को ये सब बहोत ही गंदा लगा । और शैली अदवय से बोल भी दी थी ।
“देखो अदवय तुम ये सही नहीं करते हो, सूर्या जबसे तुम्हे यहा देखी है । वो परेशान थी ! की तुम कैसे हो और तुमने तो उसे ही हर्ट कर दिया ।”
इतना बोलते ही शैली एक बार शिवेश की तरफ घूरते हुए देखी । और फिर वहा से चली गई ।
जैसे ही शैली वहा से चली गई । तब शिवेश अदवय से बोला ।"सच में यार तू सूर्या को बहोत हर्ट कर देता है । यार क्या प्रोबलम है । तेरी उसके साथ ।"
"तू जितना उसे बुरा बोल देता है ! और समझता, उससे कहीं ज्यादा अच्छी है ! वो ।"
तब अदवय बोला ।"हां तुझे बहोत चिंता है । उसकी लगती क्या है ! तेरी वो miss attitude हमेशा उसी का पछ लेता रहता है ! तू "।
तब फिर शिवेश बोला । “हां क्यू ना लू, जब सूर्या सही है ! तो, और हां सूर्या भी मेरी फ्रेंड है ।”
फिर अदवय एक toon में बोला ।"वो ! तो मैंडम दोस्त है ! जनाब की, वाह क्या बात है, हम तो कुछ है ! ही नही आप के लिए । उसके सामने ।"
तब शिवेश गुस्से में बोला । “ हा है । और तू न अपना दिमाग कम लगा ।”
तभी अदवय की नजर उसकी घड़ी पे पड़ी । और वो अचानक से बोला । "अरे यार आज एक जरूरी मिटिग थी ! और मैं यही लेट हो गया चल बाय"।
और फिर वहा से अपने ऑफिस के लिए निकल गया ।
इधर हमारी सूर्या भी अपना हुलिया सही कर के ऑफिस के लिए निकल गई ।
क्या था रीजन की अदवय सूर्या को खुद से दूर कर रहा था
जानने के लिए जुड़े रहिए
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