मंज़िल की तलाश में, रस्ता भी धुंधलाया
आशा की किरण न दिखी, निराशा का घना साया।
रिश्तों की इस भीड़ में, तन्हाई का आलम ,
हर शख्स की आंखों में, अनकहा सा मातम ।
खुशियों की तलाश में, दुखों का दामन थामा
सुकून की चाहत में, बेचैनी को अपनाया ।
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