हर शक्स परेशान क्यूं हैं

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05 Jun '24
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मंज़िल की तलाश में, रस्ता भी धुंधलाया
आशा की किरण न दिखी, निराशा का घना साया।

रिश्तों की इस भीड़ में, तन्हाई का आलम , 
हर शख्स की आंखों में, अनकहा सा मातम ।

खुशियों की तलाश में, दुखों का दामन थामा
सुकून की चाहत में, बेचैनी को अपनाया ।

Category:Poem



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Written by Vineeta Bhatia

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