पिछले कुछ समय से हमारे समाज में सार्वजानिक रूप से अश्लीलता में काफी वृद्धि हुई है. प्लेटफ़ॉर्म कोई भी हो, चारों तरफ अश्लील कंटेंट की भरमार है. अश्लील वीडियोज, रील्स, फोटोज और मूवीज आज किसी को भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, फिर वो चाहें किसी भी उम्र का हो. ऐसे कंटेंट खुलेआम विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर सार्वजानिक रूप से परोसे जा रहे हैं और इन पर रोक-टोक करने वाला कोई नहीं है.
अब तो स्थिति ये हो गई है कि यदि आप ऐसे अश्लील कंटेंट न भी देखना चाहें, तो भी विज्ञापनों के जरिए आपको ऐसे वल्गर कंटेंट देखने के लिए विवश होना पड़ता है. आज कंडोम, अंडर गारमेंट्स आदि के अश्लील और भद्दे विज्ञापन खुलेआम धडल्ले से दिखाए जाते हैं, जिनमें महिला मॉडल्स को किसी प्रोडक्ट की तरह दिखाया जाता है.
इस कारण आज स्थिति ये बन गई है कि इन अश्लील विज्ञापनों के कारण अब आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ इकठ्ठे बैठकर टीवी, मूवीज, सोशल मीडिया कुछ भी नहीं देख सकते. क्योंकि इनमें आप न चाहते हुए भी अश्लील सामग्री देखने को विवश होंगे और अपने परिवार के सामने आपको शर्मसार होना पड़ेगा. वर्तमान समय में समाज में निरंतर बढ़ते यौन अपराधों के लिए इन अश्लील कंटेंट को भी जिम्मेदार माना जा रहा है.
इसलिए अब इस बढ़ती अश्लीलता पर रोकथाम लगाने की आवश्यकता है. सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए भी हैं, लेकिन अभी इस दिशा में हम सभी को काफी काम करने की आवश्यकता है. इन प्लेटफ़ॉर्म पर अब एक ऐसे अलग सेंसर बोर्ड की आवश्यकता है, जो इन कंटेंट पर निगरानी रखे और अश्लील कंटेंट के प्रसारण को रोके, जैसे फिल्मों पर कंट्रोल के लिए फिल्म सेंसर बोर्ड बनाया गया है.
इसके अलावा विज्ञापन निर्माताओं को नैतिकता को ध्यान में रखकर इन अनचाहे अश्लील विज्ञापनों को बनाने से बचना होगा. साथ ही इसके प्रसारण के लिए दोषी सभी प्लेटफ़ॉर्म को अपनी मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए अपने आर्थिक हितों को समाज हित में त्याग कर ऐसे अश्लील कंटेंट को सार्वजानिक रूप से परोसने से बचना होगा. उन्हें ये निश्चित करना होगा कि ये अश्लील कंटेंट कम से कम नाबालिगों को किसी भी हालत में उपलब्ध न हों. जिससे अपने समाज को नैतिक पतन से बचाया जा सके.
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