क्या कहा... गर्मी है... कहाँ है गर्मी... वातानुकूलित कमरों में रहने वाले लोग ज्यादा ज्ञानी होते हैं... उनको न गर्मी का अहसास होता है और न सर्दी का...। हद तो तब होती है ज़ब ये लोग ही ज्ञान देते हैं कि पेड़ लगाओ... और मध्यम और गरीब वर्ग की जनता इनको ही ज्ञानी मानकर पेड़ पौधे लगाना शुरू कर देते हैं...। और ये लोग इनकी मेहनत पर पानी फेर कर खुद फोटो खिचा कर पूरा श्रेय ले जाते हैं…। हद ये भी है कि ये एसी की शीतल हवा का आनंद लेते हैं... और इनकी ही एसी बाहर गरम हवा फैलाती है... जो पेड़ पौधे के साथ गरीबों की जान की दुश्मन बन रही है। इसलिए यह कहा जाना उचित ही होगा कि पेड़ पौधे की जगह एसी तो पनप रहे हैं... लेकिन धरती का कोप बढ़ रहा है... इस कोप का भाजन गरीब जनता बनती है...। धरती का ताप कम करने के लिए हमको पेड़ लगाने पर ध्यान देना चाहिए.... नहीं तो धरती तो तपेगी ही... साथ ही पेड़ भी समाप्त हो जाएंगे।
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