हमे नही जाना कही भी ।

हमे नही जाना कही भी ।

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08 Jul '24
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तब फिर से सूर्या बोली ।" हां मां मैं गई थी । इसीलिए तो मुझे घर आने में लेट हो गया ।और हा अदवय अब ठीक है दो–तीन दिन में डिस्चार्ज भी हो जायेगा ।"

 

 

 

तब सुमन जी एक गहरी सांस ली । और फिर बोली ।"हे शिव जी उस बच्चे पर कितना केहर ढाओगे । बस आप से यही बिनती है । उस बिन मां के बच्चे का ख्याल रखना ।"

 

 

अपनी मां की बाते सुन के सूर्या भी भगवान जी परथना करने लगती है ।

 

 

और थोड़ी देर कुछ सोचने लगी । फिर अपनी प्लेट किचन में रख के और हाथ धो के वहा से अपने कमरे में चली गई ।

 

 

और कमरे में जाते ही शैली सूर्या से तुरंत पूछने लगी ।" क्या यार कहा रह गई थी । तू पता है ! ना तुझे आंटी कितना परेशान हो गई थी । और तेरा फ़ोन भी नहीं लग रहा था ।"

 

 

“थी कहा़ तू बताएगी कुछ ।”

 

 

         तब सूर्या बोली ।" एक साथ इतने सवाल पूछेगी तो कैसे बताएगी , हां वो मैं अदवय से मिलने गई थी ।और उसे देखना भी था इसीलिए गई थी ।"

 

 

       फिर शैली बोली ।"तुम दोनो का तो मुझे कुछ समझ ही नही आता है । दोनो एक–दूसरे से लड़ते भी रहते हो और मिले बिना रह भी नही पाते हो ।"

 

 

    शैली की बातो से सूर्या को बुरा लगता तो है । लेकिन सूर्या शैली की बातो को उतना शिरियस लेती ही नही है ।

 

 

और फिर सूर्या शैली से बोली ।"अच्छा मेरी दादी अम्मा सो जा रात बहोत हो गई है । Good night 🌉🌃 "बोल के सूर्या सोने के लिए अपने बिस्तर पे चली जाती है ।

 

 

तब शैली भी सूर्या को" Good night" बोल के सो जाती है ।

 

 

अगले दिन सुबह सूर्या और शैली दोनो जल्दी ही उठ गई । और तैयार हो कर अपने कमरे से बाहर आती है।तो सुमन जी उन दोनो से पूछती है ।

 

 

"अरे! आज इतनी जल्दी क्या हुआ ।" तभी सूर्या हड़बड़ा के बोलती है ।"हां मां वो आज कॉलेज में कुछ काम है थोड़ा जल्दी जाना है । इसीलिए ।"

 

 

तब सुमन जी बोलती है ।"अच्छा 2मिनट रुको मैं तुम दोनो का नाश्ता लगा देती हूं  ।"

 

 

   इतना बोल के सुमन जी किचन में चली जाती है । तब शैली सूर्या से पूछती है ।"क्या बात है । सूर्या कल रात को भी तूने कुछ बताया नहीं ।"

 

 

“और आज सुबह भी जल्दी कॉलेज जाने को बोल के कुछ बता नही रही हो, बात क्या है । चल क्या रहा है तेरे दिमाग में ।”

 

 

तब सूर्या बोलती है ।"कोई बात नही है । कॉलेज में कुछ काम है । इसीलिए जल्दी जा रहे है ।"

 

 

“मां प्लीज थोड़ा जल्दी लेट हो रहा है । कॉलेज के लिए ।”

 

 

तभी अंदर से आवाज़ आती है । “हां ला रही बस 2 मिनट ।”

 

 

तभी सुमन जी दोनो का नाश्ता ले कर आ जाती है ।

 

 

सूर्या और शैली नाश्ता कर के कॉलेज के लिए अपनी स्कूटी से निकल जाती है ।

 

 

जैसे ही सूर्या और शैली अपने कॉलेज पहुंचती है। वहा अदवय को देख थोड़ा शॉक्ड हो जाती हैं । 

 

 

अदवय कॉलेज में आ तो गया था । लेकिन अभी अदवय पूरी तरह से ठीक नही था । और डॉक्टर ने भी अदवय को full rest करने को बोला था ।

 

 

लेकिन अदवय के ज़िद के आगे किसकी चलती है । वो करता वही है । जो उसका मन करता है ।

 

 

लेकिन जब सूर्या अदवय को कॉलेज में देखती है । तो तुरंत अदवय के पास जने की कोसिस करती है । तभी वहा प्रोफेसर शुक्ला आ जाते है । 

 

 

और " सबको क्लास रूम में चलने को" बोलते है । तब सभी लोग क्लास रूम की तरफ जने लगते है । लेकिन सूर्या वहीं रुक जाती है ।

 

 

सूर्या को वहा रुका देख अदवय भी वही ठहर जाता है । फिर दोनो एक–दूसरे को देखते है । और फिर अचानक से अदवय वहा से अपने क्लास रूम में चला जाता । 

 

 

दोनो क्लास रूम में भी एक–दूसरे के बारे में ही सोच रहे थे ।

 

 

जैसे ही क्लास खत्म होती है । और  सारे स्टूडेंट बाहर चले जाते है । तब सूर्या अदवय के पास जाती है । और अदवय से पूछती है ।

 

 

“अभी कैसी है तबीयत तुम्हारी,तुम्हे अभी कॉलेज नही आना चाहिए डॉक्टर ने आराम करने को बोला है । न । ”

 

 

अदवय सूर्या की बातो को सुन कर इरिटेट हो रहा था । तभी झटके से अदवय उठ कर सूर्या के एक था को कस के पकड़ लेता है ।

 

 

और हाथ को मोड़ते हुए सूर्या को दीवार तक ले जाता है । और  फिर से सूर्या के होठो को चूसने लगता है । 

 

 

लेकिन सूर्या के साथ ये हरकत अचानक से होने के कारण वह थोड़ा शॉक्ड होती तो है । लेकिन सूर्या अपनी पूरी ताकत लगा के पहाड़ जैसे अदवय को खुद से दूर तो कर देती है ।

 

 

लेकिन अदवय अभी भी गुस्से में ही होता है ।और फिर सूर्या को वहा से भागता देख बोलता है ।" जानना चाहती थी न कैसा हुं मैं अब जान लिया न  ।"

 

 

सूर्या वहा थोड़ी देर ठहरती है । फिर वहा से भाग जाती है ।

 

 

सूर्या तो वहा से भाग जाती है । लेकिन शैली को ये सब बहोत ही गंदा लगता है । और शैली अदवय से बोल भी देती है ।

 

 

"देखो अदवय तुम ये सही नहीं करते हो, सूर्या जबसे तुम्हे यहा देखी है । वो परेशान थी की तुम कैसे हो और तुमने तो उसे ही हर्ट कर दिया ।" 

इतना बोलते ही शैली एक बार शिवेश की तरफ घूरते हुए देखती है । और फिर वहा से चली जाती है ।

 

 

जैसे ही शैली वहा से चली जाती है । तब शिवेश अदवय से बोलता है ।"सच में यार तू सूर्या को बहोत हर्ट करता है । यार क्या प्रोबलम है । तेरी उसके साथ ।"

 

 

“तू जितना उसे बुरा बोलता है और समझता, उससे कहीं ज्यादा अच्छी है ।”

 

 

तब अदवय बोलता है ।"हां तुझे बहोत चिंता है । उसकी लगती क्या है तेरी वो miss attitude हमेशा उसी का पछ लेता रहता है तू  ।"

 

 

तब फिर शिवेश बोलता है । “हां क्यू ना लू, जब सूर्या सही है तो, और हां सूर्या भी मेरी फ्रेंड है ।”

 

 

फिर अदवय एक toon में बोलता है । “वो! तो मैंडम दोस्त है जनाब की, वाह क्या बात है, हम तो कुछ है ही नही आप के लिए । उसके सामने ।”

 

 

तब शिवेश गुस्से में बोलता है । “ हा है । और तू न अपना दिमाग कम लगा ।”

 

 

तभी अदवय की नजर उसकी घड़ी पे पड़ती है । और वो अचानक से बोलता है । “अरे यार आज एक जरूरी मिटिग थी और मैं यही लेट हो गया चल बाय ।”

 

 

और फिर वहा से अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है ।

 

 

इधर हमारी सूर्या भी अपना हुलिया सही कर के ऑफिस के लिए निकल जाती है ।

 

 

क्या था रीजन की अदवय सूर्या को खुद से दूर कर रहा था ।

 

 

जानने के लिए जुड़े रहिए 

 

 

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Written by Deepanjali Singh

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