हमारी ही देन है जल संकट
जल कितना महत्वपूर्ण है…। इसका अंदाज हम इस बात से लगा सकते हैं कि जल के बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं…। एक कहावत है कि “जल है तो कल है” लेकिन अब इस कहावत के उतने मायने नहीं है, क्योंकि जल के अभाव में आज भी विकराल स्थिति निर्मित होने लगी हैं। नदियाँ सूख रही हैं, पेड़ पौधे मुरझाने लगे हैं, कुएँ बाबरी रीत रही हैं। इसको मानव निर्मित त्रासदी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि जिनसे जल का निरंतर प्रवाह बना रहता है, उनको हमने अपने स्वार्थ में बलि चढ़ा दिया।
हम जानते हैं कि हमारे देश के जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं, बीहड़ों को समतल कर दिया है…। ऐसे में पानी को ज़मीन में पहुँचाने के माध्यमों को हमने ही नष्ट कर दिया है। जहां तक नदियों की बात है तो वह हमारे शरीर की रक्त शिराओं जैसी ही हैं। भारत की भूमि पर जल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए नदियों का भी बहुत बड़ा योगदान है। अगर नदियाँ नहीं होंगी तो भारत भूमि सूख जाएगी। इसके बाद इस भूमि पर न तो फसल होगी और न ही किसी प्रकार का अन्य उत्पादन ही होगा। क्योंकि इस सबके लिए जल की बहुत आवश्यकता है। हम अन्न के बिना कुछ महीने तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन जल के बिना महीने तो क्या दिन भी नहीं निकल सकते।
जल के बिना भारत के कई शहरों में भीषण संकट पैदा होता जा रहा है। जहां संकट नहीं है, वहां पानी माफिया इसको संकट बनाने का काम करते हैं। कई शहरों में पानी के लिए मारकाट होने लगी है। देश की राजधानी दिल्ली में भी हालात बहुत खराब हैं। कई मोहल्लों में पानी के लोग रात भर जागते हैं, क्योंकि उनके यहाँ पानी की आपूर्ति निजी वाहनों से होती है, उसका आने का समय कब रहता है, यह किसी को नहीं पता। मध्यप्रदेश के दमोह में मैंने स्वयं देखा है, पानी बेचने वाले लोग जल की आपूर्ति को बाधित करके अपना व्यापार बढ़ाते हैं। चेन्नई में हालात बहुत ही खराब हैं। गर्मी के दिनों में कई शहरों में पलायन जैसी स्थितियाँ भी बनने लगी हैं। अगर स्थिति पर अभी नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दिन अत्यंत दुखदायी ही होंगे।
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