भारत में पानी बेचने की परंपरा नहीं थी। लेकिन वर्तमान में जिस प्रकार पानी की कमी महसूस की जा रही है। उससे तो यही लगता है कि लोग जिस कीमत पर भी मिले पानी को खरीदने को तैयार हैं। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि पानी कितना अनमोल है। कुछ साल पहले, कोई भी दुकान पर पानी नहीं बेचता था, हालांकि अब समय बहुत बदल चुका है और अब हम देख सकते हैं कि सभी जगह शुद्ध पानी का बॉटल बिक रहा है। पहले लोग पानी को दुकानों में बिकता देख आश्चर्यचकित हो गये थे हालांकि अब, अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिये 20 रुपये प्रति बॉटल या उससे अधिक देने के लिये तैयार हैं। हम साफ तौर पर महसूस कर सकते हैं कि आने वाले भविष्य में पूरी दुनिया में स्वच्छ जल की अधिक कमी होगी।
आज पानी बचाने के बारे में तमाम प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जितने प्रयास हो रहे हैं, उस अनुपात में परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे का एक मात्र कारण यह भी है कि हम किसी भी कार्य के लिए केवल सरकारी प्रयासों तक ही सीमित हो गए हैं, जबकि जल एक ऐसी चीज है जिस पर सारा समाज आश्रित है। विश्व में जल भगवान का दिया हुआ एक ऐसा उपहार है, जसके बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं हैं। वर्तमान में जल का जिस प्रकार से उपयोग किया जा रहा है, उससे ऐसा लगने लगा है कि भविष्य में जल का बहुत बड़ा संकट उत्पन्न होने वाला है। जल संरक्षण के लिए चलाए जा रहे सरकारी प्रयास नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। गांव और शहरों की कई बस्तियों में पेयजल समस्या के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। सबसे गंभीर बात तो यह है कि इन क्षेत्रों में सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थाएं भी ध्यान नहीं दे रहीं हैं। क्योंकि अभी तक देखने में आया है कि जितनी आर्थिक सहायता जल के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा प्रदान की गई है, उसके अनुसार काम नहीं दिखाई दिया। इसलिए सवाल यह भी आता है कि जल संचयन के लिए काम करने वाली संस्थाओं की कार्यप्रणाली को किस हद तक सही माना जा सकता है। वास्तव में होना यह चाहिए कि जिस संस्था के माध्यम से इस प्रकार का काम किया जा रहा है, उसमें उस क्षेत्र के नागरिकों का भी समावेश होना चाहिए। इससे यह होगा कि इन संस्थाओं की मनमानी पर लगाम लगेगी और जल संचयन की दिशा में होने वाले काम में पारदर्शिता आएगी।
सौरमंडल के एक मात्र ग्रह पृथ्वी पर जल का संरक्षण बहुत ही जरूरी है, क्योंकि जल के बिना जीवन ही नहीं है। जिस प्रकार से व्यक्ति का जीवन चक्र चलता है, उसी प्रकार से धरती को बचाने के लिए जल चक्र की भी वर्तमान में आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। ऐसा नहीं है कि कि केवल व्यक्ति के लिए जल की आवश्यकता है, बल्कि धरती और प्रकृति के बचाव के लिए के लिए भी जल का बचाना अत्यंत जरूरी है। क्योंकि प्रकृति का जीवित रहना भी हमारे जीवन के लिए जरूरी है। इसलिए हम पुरातन पत्रति से जल का संचयन करें। इसी में हमारी और समाज की भलाई है। संयुक्त राष्ट्र के संचालन के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि राजस्थान में लड़कियाँ स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जो उनके पूरे दिन को खराब कर देती है इसलिये उन्हें किसी और काम के लिये समय नहीं मिलता है।
हमारे जीवन में पानी की कितनी आवश्यकता है, इस बात को हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि हम बिना पानी के कोई भी काम नहीं कर सकते। हमारे जीवन में कदम कदम पर पानी की आवश्यकता होती है। ज़ब पानी नहीं होगा तो हमारे खाने की वस्तुओं का भी उत्पादन नहीं हो सकता। तब हमारा जीवन कितना चलेगा, यह सोचने का विषय है। जीवन के विकास के लिए हर चीज में पानी की आवश्यकता है।
आज हम जाने अनजाने में जल की बहुत बड़ी मात्रा को फालतू में बहा देते हैं। इस प्रकार की पानी की बर्बादी को हमें समय रहते रोकना ही होगा। क्योंकि हम जानते हैं कि पृथ्वी का बहुत बड़ा भाग पानी से घिरा हुआ है, लेकिन वह पानी व्यक्ति के लिए उपयोगी नहीं है। जो पानी जमीन पर उपलब्ध है, उसमें भी जागरुकता के अभाव में गुणवत्ता का अभाव पैदा होता जा रहा है। जो पानी पीने लायक बचा है, उसके लिए हम कितने जागरुक हैं। यह हमारे किए गए कार्यों से पता चल जाता है। आज मीठा पानी उपलब्ध कराने वाले हमारे कुए सूखते जा रहे हैं। इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर और वैश्विक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। जल संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन अकेले न चलकर दो तीन संगठन मिलकर काम करने का प्रयास करेंगे तो सार्थक परिणाम दिखाई देंगे। अकेले काम करने वाले संगठन केवल औपचारिकता ही पूरी करते हैं। ये ऐसी समस्या है जिसको वैश्विक स्तर पर लोगों के मिलकर प्रयास करने की जरुरत है।
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