क्या आर्य सच में विदेशी थे? समझिये इस लेख में।

Aryan Invasion Theory Explained In Hindi

ProfileImg
04 Oct '23
6 min read


image

इतिहास एक ऐसा विषय है जो व्यक्तियों एवं विचारधाराओं के हिसाब से बदलता रहता है। जिसे इतिहास के जो भाग अपने काम के लगते हैं उसे ही वह प्रचारित करता है। इसका असर यह होता है कि अधिकतर लोग वास्तविक इतिहास से अनभिज्ञ होकर उसी इतिहास को मानने लगते है जो उन्हें दिखाया जा रहा है।

इतिहास का ऐसा ही एक अध्याय है आर्यों का भारत आगमन, जिसे इतिहासकार The Aryan Invasion Theory कहते हैं।

आखिर ये थ्योरी क्या कहती है और क्या यह थ्योरी सच है या फिर भारतीय लोगों को आपस में बांटने के लिए अंग्रेजों का केवल एक षड़यंत्र ? इसी को जानने का प्रयास हम इस लेख में करेंगे अतः अंत तक बने रहें।

आर्य कौन थे? ( Who were the Aryans ? )

आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है “आदर्श” अथवा “अच्छे आचरण का पालन करने वाला”। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ “वेदों” में आर्यों के बारे में उल्लेख किया गया है। इनमें से सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में आर्यों को पशुपालक लोगों के समूह के रूप में बताया गया है जिनका प्रमुख कार्य पशुपालन था जो बाद में कृषि हो गया। आर्यों के बीच मुख्यतः पशुओं एवं कृषि को लेकर युद्ध होते थे।

Vedas, Source books about Aryans ( Image Credits : Wikimedia Commons )

एक और जहाँ आदर्श एवं आस्तिक लोगों के लिए आर्य शब्द का प्रयोग हुआ है, वहीं हिंसक एवं बुरा आचरण करने वालों के लिए दस्यु शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसे आज की राजनीति ने जातियों के रूप में तब्दील कर दिया है।

आज हिंदू धर्मावलंबियों की यह मान्यता है कि सभी भारतीय, ऋग्वेद में वर्णित प्राचीन आर्यों के ही वंशज हैं।

लेकिन आर्यों के इतिहास में बहुत ज़्यादा मतभेद देखने को मिलता है। बहुत से इतिहासकारों की बीच आर्यों की उत्पत्ति और पलायन के बारे में अलग अलग राय हैं, जिसमें से एक धारणा है “Aryan Invasion Theory”। क्या है ये, आइये जानते हैं।

क्या है Aryan Invasion Theory ?

आर्य आक्रमण सिद्धांत जिसे हम Aryan Invasion Theory भी कहते हैं, जर्मन शिक्षाविद मैक्स मुलर ( Max Muller ) के शोध पर आधारित थ्योरी है।

F. Max Muller ( Image Credit : Wikimedia Commons )

इस थ्योरी का मानना है कि आर्य आर्कटिक इलाके के कबीलाई लोग थे, जो धीरे धीरे भारत के पश्चिमी हिस्से तक पहुंचे। तब भारत में सिंधु सभ्यता फल फूल रही थी, उसे उन्होंने तबाह किया और भारत में वैदिक सभ्यता की शुरुआत हुई। इस थ्योरी को मानने वाले इतिहासकारों का कहना है कि आर्य लगभग 1500 से 1000 ईसा पूर्व के आसपास भारत आये थे और आर्यों की सभ्यता 600 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी।

इतिहासकारों का कहना है, कि यूरोप से भारत आते तक, संस्कृतियों और भाषाओ में बहुत हद तक समानता देखने मिलती है। वे इन भाषाओँ को हिन्द-यूरोपीय भाषा समूह कहते हैं। प्राचीन ईरान की भाषा और संस्कृत में भी बहुत सी समानताएं मिलती हैं।

Aryan Invasion Theory : पक्ष में तर्क

आर्यों को विदेशी मानने वाले विद्वान इसके पक्ष में कई तर्क देते हैं जैसे –

  1. हिन्द-यूरोपीय भाषाओ में समानता :- संस्कृत और यूरोप की अन्य भाषाओं जैसे लैटिन, यूनानी ( ग्रीक ) में आश्चर्यजनक रूप से समानता देखने को मिलती है। जैसे संस्कृत में माँ को मातृ कहा जाता है, जिसे लैटिन में मैटर और अंग्रेजी में मदर कहा जाता है।
  2. ग्रंथों में समानता :- पारसियों के पवित्र ग्रन्थ ज़ेंद आवेस्ता और ऋग्वेद में कई समानताएं देखने मिलती हैं। कहा जाता है कि ज़ेंद आवेस्ता, ऋग्वेदिक संस्कृत की ही किसी शाखा में लिखा गया है। मैक्स मुलर और मैकाले जैसे विदेशी विद्वान इस आधार पर मानते हैं कि आर्य मध्य एशिया के मूलनिवासी थे। समय के साथ साथ उन्होंने पूर्व में बढ़ना शुरू किया और ईरान होते हुए सप्त सैंधव क्षेत्र में प्रवेश किया।
  3. सिंधु घाटी के मूलनिवासी कौन ? :- इतिहासकार तर्क देते हैं कि सिंधु घाटी में रहने वाले लोग आर्य नहीं थे। सिंधु घाटी सभ्यता के क्षेत्रों से जो कंकाल पुरातत्व विभाग को प्राप्त हुए हैं उनका डीएनए आज के उत्तर भारतीय लोगों और तब के आर्य लोगों के डीएनए से नहीं मिलता है। लेकिन वैदिक सभ्यता के लोगों के कंकाल का डीएनए आज के उत्तर भारतीय लोगों से बहुत हद तक मिलता है।इसलिए ये तर्क दिया जाता है कि सिंधु सभ्यता के लोग, जिन्हें हम भारत के मूलनिवासी कह सकते हैं, वे आदिवासी थे, न कि आर्य।
  4. प्रसिद्ध भारतीय विचारक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का भी यह मानना था कि जो आर्य थे, वे आर्कटिक हिस्से से लगभग आठ हज़ार साल पहले भारत आये थे। इसका कारण उन्होंने वहाँ का जलवायु परिवर्तन बताया था।

Aryan Invasion Theory : विरोध में तर्क

आज के बहुत से लोग और संगठन आर्यों को ही भारत का मूलनिवासी बताते हैं, और इस थ्योरी को पूरी तरह खारिज करने की कोशिश करते हैं। इस थ्योरी के विरोध में वे लोग ये तर्क देते हैं –

  1. भारतीय विचारक मानते हैं कि आर्य भारत के मूलनिवासी थे, और भारत से ही अन्य बाकी जगहों में फैले। यही कारण है कि पश्चिम के देशों में संस्कृत से समानता दिखती है।
  2. स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में कहा है कि किसी भी प्राचीन ग्रन्थ में यह प्रमाण नहीं मिलता कि आर्य विदेशी थे। दयानन्द सरस्वती के अनुसार आर्यों का मूलनिवास तिब्बत था जिसे प्राचीनकाल में त्रिविष्टप कहा जाता था।
  3. सिंधु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म से सम्बंधित कई चीज़ें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से एक वस्तु पर अंकित चित्र भगवान शिव से मिलता है। वहीँ एक अन्य आकृति में बैल अंकित है, जिसे हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। ये साक्ष्य बताते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग ही आर्य थे।
  4. विद्वानों का मानना है कि ऋग्वेद के शुरुआत में जो नदियों का उल्लेख आया है, वे सभी भारतीय सिंधु क्षेत्र की नदियां हैं, जहां पर सिंधु सभ्यता थी। जैसे परुष्णी नदी आज की रावी नदी है, वितिस्ता आज की झेलम नदी है और सरस्वती नदी, जो कि अब लुप्त हो चुकी है, कहा जाता है वह भी भारतीय उपमहाद्वीप में ही बहा करती थी।
Indus Valley Civilization ( Image Credits : Wikimedia Commons )

आर्य कितने सभ्य व विकसित थे ?

इतिहासकारों का कहना है कि आर्य बंजारे होते हुए भी बहुत सभ्य थे। वे मुख्यतः पशु पालन और कृषि करते थे। उनके पास अत्यंत विकसित भाषा प्रणाली थी, जिसे संस्कृत कहा जाता है, और वे वेदों को मानते थे, और प्रकृति की पूजा करते थे। प्रशासक को राजन कहा जाता था, और ग्राम समूहों को विश।

कुछ विद्वाओं का मत है कि जब सिंधु घाटी सभ्यता पतन की ओर थी, तब आर्यों का भारत आगमन हुआ था। लेकिन कुछ ये भी मानते हैं कि वे पहले से इस क्षेत्र में निवास कर रहे थे और उन्होंने ही सिंधु सभ्यता को विकसित किया था।

जो विचारक आर्यों को बाहरी और बंजारे बताते हैं, वे भी इस बात का ज़िक्र करते हैं कि बंजारे होते हुए भी आर्यों में आश्चर्यजनक रूप से अत्यंत विकसित सभ्यता विद्यमान थी।

क्या आर्य विदेशी थे या मूलनिवासी ?

जैसा कि हमने देखा कि आर्यों को विदेशी मानने वालों के भी अपने तर्क हैं, और मूलनिवासी मानने वालों के भी अपने तर्क हैं। यह अभी तक वैज्ञानिक एवं प्रामाणिक रूप से स्पष्ट नहीं किया जा सका है कि आर्यों का मूल स्थान कहाँ था। और जो आज उत्तर भारतीय हैं, क्या वे ही आर्य थे। हालाँकि यह भी विचारणीय है कि ये बहस अभी कितनी प्रासंगिक है। आज भारत में रहने वाले प्रत्येक भारतीय को ही भारत का मूलनिवासी माना जाना चाहिए और यहीं इस देश के लिए सही रहेगा।

Category:History



ProfileImg

Written by Rishabh Nema