इतिहास एक ऐसा विषय है जो व्यक्तियों एवं विचारधाराओं के हिसाब से बदलता रहता है। जिसे इतिहास के जो भाग अपने काम के लगते हैं उसे ही वह प्रचारित करता है। इसका असर यह होता है कि अधिकतर लोग वास्तविक इतिहास से अनभिज्ञ होकर उसी इतिहास को मानने लगते है जो उन्हें दिखाया जा रहा है।
इतिहास का ऐसा ही एक अध्याय है आर्यों का भारत आगमन, जिसे इतिहासकार The Aryan Invasion Theory कहते हैं।
आखिर ये थ्योरी क्या कहती है और क्या यह थ्योरी सच है या फिर भारतीय लोगों को आपस में बांटने के लिए अंग्रेजों का केवल एक षड़यंत्र ? इसी को जानने का प्रयास हम इस लेख में करेंगे अतः अंत तक बने रहें।
आर्य कौन थे? ( Who were the Aryans ? )
आर्य शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है “आदर्श” अथवा “अच्छे आचरण का पालन करने वाला”। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ “वेदों” में आर्यों के बारे में उल्लेख किया गया है। इनमें से सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में आर्यों को पशुपालक लोगों के समूह के रूप में बताया गया है जिनका प्रमुख कार्य पशुपालन था जो बाद में कृषि हो गया। आर्यों के बीच मुख्यतः पशुओं एवं कृषि को लेकर युद्ध होते थे।
एक और जहाँ आदर्श एवं आस्तिक लोगों के लिए आर्य शब्द का प्रयोग हुआ है, वहीं हिंसक एवं बुरा आचरण करने वालों के लिए दस्यु शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसे आज की राजनीति ने जातियों के रूप में तब्दील कर दिया है।
आज हिंदू धर्मावलंबियों की यह मान्यता है कि सभी भारतीय, ऋग्वेद में वर्णित प्राचीन आर्यों के ही वंशज हैं।
लेकिन आर्यों के इतिहास में बहुत ज़्यादा मतभेद देखने को मिलता है। बहुत से इतिहासकारों की बीच आर्यों की उत्पत्ति और पलायन के बारे में अलग अलग राय हैं, जिसमें से एक धारणा है “Aryan Invasion Theory”। क्या है ये, आइये जानते हैं।
क्या है Aryan Invasion Theory ?
आर्य आक्रमण सिद्धांत जिसे हम Aryan Invasion Theory भी कहते हैं, जर्मन शिक्षाविद मैक्स मुलर ( Max Muller ) के शोध पर आधारित थ्योरी है।
इस थ्योरी का मानना है कि आर्य आर्कटिक इलाके के कबीलाई लोग थे, जो धीरे धीरे भारत के पश्चिमी हिस्से तक पहुंचे। तब भारत में सिंधु सभ्यता फल फूल रही थी, उसे उन्होंने तबाह किया और भारत में वैदिक सभ्यता की शुरुआत हुई। इस थ्योरी को मानने वाले इतिहासकारों का कहना है कि आर्य लगभग 1500 से 1000 ईसा पूर्व के आसपास भारत आये थे और आर्यों की सभ्यता 600 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी।
इतिहासकारों का कहना है, कि यूरोप से भारत आते तक, संस्कृतियों और भाषाओ में बहुत हद तक समानता देखने मिलती है। वे इन भाषाओँ को हिन्द-यूरोपीय भाषा समूह कहते हैं। प्राचीन ईरान की भाषा और संस्कृत में भी बहुत सी समानताएं मिलती हैं।
Aryan Invasion Theory : पक्ष में तर्क
आर्यों को विदेशी मानने वाले विद्वान इसके पक्ष में कई तर्क देते हैं जैसे –
Aryan Invasion Theory : विरोध में तर्क
आज के बहुत से लोग और संगठन आर्यों को ही भारत का मूलनिवासी बताते हैं, और इस थ्योरी को पूरी तरह खारिज करने की कोशिश करते हैं। इस थ्योरी के विरोध में वे लोग ये तर्क देते हैं –
आर्य कितने सभ्य व विकसित थे ?
इतिहासकारों का कहना है कि आर्य बंजारे होते हुए भी बहुत सभ्य थे। वे मुख्यतः पशु पालन और कृषि करते थे। उनके पास अत्यंत विकसित भाषा प्रणाली थी, जिसे संस्कृत कहा जाता है, और वे वेदों को मानते थे, और प्रकृति की पूजा करते थे। प्रशासक को राजन कहा जाता था, और ग्राम समूहों को विश।
कुछ विद्वाओं का मत है कि जब सिंधु घाटी सभ्यता पतन की ओर थी, तब आर्यों का भारत आगमन हुआ था। लेकिन कुछ ये भी मानते हैं कि वे पहले से इस क्षेत्र में निवास कर रहे थे और उन्होंने ही सिंधु सभ्यता को विकसित किया था।
जो विचारक आर्यों को बाहरी और बंजारे बताते हैं, वे भी इस बात का ज़िक्र करते हैं कि बंजारे होते हुए भी आर्यों में आश्चर्यजनक रूप से अत्यंत विकसित सभ्यता विद्यमान थी।
क्या आर्य विदेशी थे या मूलनिवासी ?
जैसा कि हमने देखा कि आर्यों को विदेशी मानने वालों के भी अपने तर्क हैं, और मूलनिवासी मानने वालों के भी अपने तर्क हैं। यह अभी तक वैज्ञानिक एवं प्रामाणिक रूप से स्पष्ट नहीं किया जा सका है कि आर्यों का मूल स्थान कहाँ था। और जो आज उत्तर भारतीय हैं, क्या वे ही आर्य थे। हालाँकि यह भी विचारणीय है कि ये बहस अभी कितनी प्रासंगिक है। आज भारत में रहने वाले प्रत्येक भारतीय को ही भारत का मूलनिवासी माना जाना चाहिए और यहीं इस देश के लिए सही रहेगा।