भारत देश की एकता
आज का युग सूचनाक्राति का युग है , भारत देश ने विज्ञान , कला , खेल व कृषि एवं संचार सभी क्षेत्रों में विकास किया हैं । हमें रोजगार परख शिक्षा , सभी प्राणी , मानव को खाने हेतू धान्य । वन , पर्यावरण की सुरक्षा । सभी मानव को स्वच्छ पेयजल । जीव , जन्तु व जानवरों को पीने हेतू पानी , तालाब की व्यवस्था चाहिए । वनो की सुरक्षा हेतू पेड़ -पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाना चाहिए । राष्ट्र की सुरक्षा के लिये सभी नौजवान में देशभक्ति से ओतप्रोत भावनाओं से राष्ट्र हेतू जान कुर्बान करने की तैयारी रहना चाहिये । सभी मानव में देश सेवा की भावना सदैव जाग्रत रहना चाहिए । संविधान का पालन करें और उसके आदशों , संस्थाओं , राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें । स्वतंत्रता के लिए हमारें राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को ह्र्दय मे संजोये रखें और उनका पालन करें । भारत की प्रभुता , एकता और अखंडता की रक्षा करें और अक्षुण्ण रखें । देश की रक्षा करे और आह्वान किऐ जानेपर राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहे , सेवा करें । भारत के सभी लोगों में समरसता और समान मित्रवत की भावना का निर्माण करे जो धर्म , भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो , ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के समान के विरूद्ध हो । महिलाओं को अपने बराबरी में हिस्सेदारी दे ।
भारत देश में सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली पंरपरा का महत्व समझे और उनका परिक्षण करें । प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन, झील , नदी , नाले और वन्य जीव है उनकी रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखना जरूरी हैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण , मानवीयता और कल्याणकारी ज्ञानाजर्न तथा सुधार की भावना का विकास करे । सार्वजनिक व देश की संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे । व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों से सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हूऐ प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू लो ।
आज भारत की प्रभुता , एकता और अंखडता खतरे में हैं , राजनीति वोट के लिऐ क्षेत्रवाद , भाषावाद , जातिवाद ना जाने ऐसे विघटनकारी के मन में कैसे – कैसे वाद आते हैं । देश की अंखडता तोडऩे वाले देशद्रोही को उसके वाद ठिकाने लगाने की हर आम भारतवासी गुहार कर रहा हैं । केंद्र में बैठे गुंगे – बहरे – अंधे है , उन्हें सब जानकारी हैं , लेकिन लाचार हैं , क्या कानुन नहीं है क्या ? क्या देश बढ़कर , भारतीयता से बढ़कर क्षेत्रवाद , भाषावाद , जातिवाद हैं ? हमें सक्ति से ऐसे देशद्रोही से पेश आना हैं । भारत की एकता तोड़ना सिर्फ एक मुद्दा ही नहीं बल्कि शोध का विषय बन गया हैं । और इस शोध की नियमतता सक्ती से कानून लागु करना में ही इस बिमारी का ईलाज हैं । सरकार का काम सिर्फ निंदा करके मुआवज़ा देना नहीं बल्कि क्षेत्रवाद , भाषावाद , जातिवाद को नाकाम करना होना चाहिए । सरकार को अपनी प्राथमिकताओं में फेरबदल करनी होगी । राजनेताओं के पारिवारिक मसलो को सुलझाने के बजाए , देश की जनता से सीधे जुड़े सवालों के हल खोजने होगें । भारत की प्रशासनिक सेवाऐं ढीली ही नहीं भ्रष्ट भी हैं । जरूरत हैं इनका सुदृढ़ करनें की और दोषियों को कड़ी सजा देने की जिससे हमलावर हमला करने से पहले सौ बार सोचे ।
जिस देश की जनता ही सुरक्षित नहीं । जिस देश में क्षेत्रवाद , भाषावाद , जातिवाद , सबसे प्रबल आतंकवाद उस देश का भविष्य उज्वल नहीं हैं । अतः इस खुनी खेल का जबानी विरोध नहीं उचित शक्ति प्रदर्शन से विरोध होना आवश्क हैं । हमारी भारतीय सेना एवं गुप्तचर यंत्रणा नये टेक्नोलॉजी से परिपूर्ण हो । उसका मनोबल हमेशा उंचा रहें , उनके लिये सभी ने अपना योगदान देना चाहिए । सेना है तो हम हैं , स्वाभाविक रूप से यह बृध्दि एवं शारिरिक बल हमारे देश की मजबूत प्रशासन के रुप में प्रदर्शित हो सकते हैं । हम सभी भारतीय हैं , हम भारत के किसी भी कोने -कोने में जाकर रोजी -रोटी कमा सकते हैं , बस सकते है , रह सकते हैं । सभी गाँव , शहर , जिला , महानगर भारतीय हैं । नीति नियम सभी के लिए न्यायपूर्ण हो , तर्कसंगत हो , पारदर्शी हो व कल्याणकारी हो । हमें किसी भी प्रकार का विरोध करने का अधिकार हैं लेकिन अंहिसा मार्ग से किसी भी प्रकार से देश की संपत्ति का नुकसान न हो । गलती व नीति की भी एक अवधि होती हैं , बार – बार करने पर आपको सुनना भी पडे़गा , कभी – कभी कदम पीछे भी करना पडता हैं । हमारी भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र वसुधैव कुटूम्बकम् ।
- जय जवान – जय किसान –
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Raju Gajbhiye
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