आज कल मोबाइल देखते हुए बच्चों को खाना खिलाना ट्रेंड है.
कहीं बाहर जाओ या नया करो तो सबसे पहले फोटो या स्टेटस पोस्ट करना ट्रेंड है.
आस पास नहीं पर कहीं दूर अनजान कहीं बसे अजनबी को दोस्त बनाना ट्रेंड है.
अपनों से दुःख छुपाना अजनबियों को दर्द बताना ट्रेंड है.
दूरदर्शन छूटे सादिया हो गयी अब रील्स देख मनोरंजन करना ट्रेंड है.
काम के लिए कंपनियों में बायो डाटा देना और नौकरी मिलना मुश्किल पर.
रील्स बनाकर रातोंरात प्रसिद्धि पाना ट्रेंड है.
इस प्रसिद्धि के लिए जान गवाना ट्रेंड है.
न जाने इस नए ट्रेंड के चक्कर में पुराने ट्रेंड कब सुर्ख़ियों में आएंगे.
बच्चे मामा के घर छुट्टियों में जब जायेंगे तब मोबाइल लेकर बैठने के बजाय पेड़ से आम तोड़कर खाएंगे.
गिल्ली डंडा खेलेंगे दादाजी चुटकुले सुनाकर खूब हसे और हसाएंगे.
सखियाँ व्हाट्सअप पर कम आँगन में गप्पे लड़ाएंगी.
ऑनलाइन कम ओफ लाइन चीजें मगाएंगी.
हर परिवार साथ मिलकर देर तक साथ बैठकर अपनी बातें एक दूसरे को बताएँगे।
ये ट्रेंड फिर कब वापस आएंगे...