वोट के लिऐ
वोट के लिऐ , लुभावने वादे करते
हवां - हवांई बाते , तंज कसकर बोलते
उन्हें हर बात मुमकिन लगती
जनता को चांद - तारे तोड़कर देते
कामवाली भी न बोलती झुठ ,
उससे भी बातुनी , झुठ की सरदार लगती
भोली - भाली जनता को मैं हूँ ना का सहारा
लेकिन ठेंगा दिखाकर , करते माल अन्दर हमारा
मूंह में भगवान का नाम , बगल में छुरी रखते
देश के सभी साधन-संसाधन से छेड़छाड़ करते
लक्ष्य हासिल करने हेतू , हर हद पार करते
अपना होश लोग संभालते , तब तक नैया पार करते
फिर मुंह लटकाऐं जो भी होगा , उसकी ईच्छा बोलना
किडें - मकोड़े का जीवन जीना , जो बोले वह करना
हम हैं स्वंतत्र कहने के , पर आज भी हैं गुलाम
लोक का शासन , लोकतंत्र न जानकर रहें गुलाम
उठ़ो जागृत हो , करों लोकतंत्र बचाव का
हमारा वोट योग्य उम्मीदवार को मिले
हमारे सभी अधिकार मिलेंगे , संघर्ष करते रहना हैं
लोकतंत्र में संघर्ष जीवन हैं , आपका कार्य ही वोट हैं
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स्व-रचित / मौलिक
- राजू गजभिये (सीताराम )
Raju Gajbhiye
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