ऐ बंदे तू क्यों घबराता असफलताओं की धुंध से
परिश्रम और साहस को धारण कर अपने तन मन से।
समय का पहिया कभी तो दिशा बदलेगा धैर्य रख मानव आज नहीं तो कल वक्त बदलेगा।
माना पथ है ऊबड़ खाबड़ कटीला जैसा रेगिस्तान
राहे भी समतल होगी मिलेगा सफलताओं का आसमान।
बस तुम हिम्मत की डिब्बी को खाली मत करना
अपने स्वप्न की लहर को गतिमान रखना।
जिंदगी के पन्नों पर कामयाबी का ठप्पा भी लगेगा
विफलता की बर्फ भी पिघलेगी सफलता का रस भी आएगा।
हृदय में लक्ष्य की क्रांति रख फतेह का झंडा भी लहराएगा
मनोबल को स्थिर कर यश तुम्हारा चहुं और फैलेगा
धैर्य रख मानव आज नहीं तो कल वक्त बदलेगा।
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