ये बारिश का मौसम थी आँखों में मस्ती
उन्हें देखने को निगाहें तरसती
मेरी धड़कनों पर लिखा नाम तेरा
मेरे दिल के कोने में बस तू ही तू बसती
ये बारिश का मौसम.....................
बेखुदी का आलम दीवानों की बस्ती
उनके ही आने पर महफिल थी सजती
ख्यालों में उनके खोया ही रहता
नहीं रात आँखों ही आँखों में कटती
ये बारिश का मौसम..................
वो मासूम चाहत मेरे दिल से कहती
जैसे बारिश की बूंदों से शबनम बरसती
देखा जो उसको खिड़की से अपनी
बादलों में कहीं दूर बिजली चमकती
ये बारिश का मौसम...................
तन्हाई की रातें वो रातों की हस्ती
खुशबू से उसकी सांसें महकतीं
आहट पर उसकी उठकर जो देखा
मखमली घाँस पर जैसे कोयल चहकती
ये बारिश का मौसम थी आँखों में मस्ती
पण्डित संजय शर्मा
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