प्राण वायु ही जीवन का आधार है। यह हमारे पूरे शरीर में विद्यमान रहती है। शरीर में स्थित यह प्राण वायु विभिन्न अंगों पर अलग-अलग कार्य करती है। इस कारण से इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान। व्यक्ति के शरीर में प्राण वायु का स्थान मुख्य रूप से हृदय में होता है। प्राण वायु का स्थान नाभि से कण्ठ तक फैला हुआ है। इस प्राण वायु का मुख्य काम व्यक्ति की सांस को नियमित बनाए रखना, खाने को पचाना, खाने से मिलने वाले पोषक तत्वों को शरीर के अंगों को अलग-अलग भागों में बांटना, भोजन से रस बनाना और रस से अन्य धातुएं उत्पन्न करना है। अपान वायु को व्यक्ति के शरीर में स्वास्थ्य का केंद्र और शक्ति का केंद्र होता है। इस वायु का मुख्य काम मल, मूत्र, वीर्य और गर्भाशय की देखभाल करना है। अपान मुद्रा शरीर के अंदर फैली हुई अशुद्धियों और गंदगी को साफ करती है। आज के इस लेख में जानते हैं, अपान मुद्रा करने का तरीका और इससे होने वाले लाभों के बारे में।
सबसे पहले किसी शांत जगह पर चटाई बिछाकर बैठ जाए। इस मुद्रा को करते समय यदि आप उत्कटांसन में बैठे, तो ज्यादा लाभ देती है। यदि आपको ऐसे बैठने में किसी भी तरह की समस्या है, तो आप सुखासन या पद्मासन में भी बैठ सकते हैं। अब अपनी मध्यमा और अनामिका दोनों अँगुलियों को एक साथ अंगुठे के आगे वाले भाग पर लगा दे। अपनी तर्जनी और कनिष्ठा दोनों उँगलियों को बिल्कुल सीधा रखें। अपान मुद्रा बन गई। आपको याद होगा हम बचपन में जैसे परछाई में दिखने के लिए हाथों से कुत्ते की आकृति बनाते थे। ठीक वैसे ही हाथों को इस मुद्रा में किया जाता है। इस मुद्रा अभ्यास व्यक्ति को 45 मिनट तक करना चाहिए। आप चाहे तो 15 -15 -15 मिनट का समय देकर तीन बार भी कर सकते हैं।
एक्यूप्रेशर पद्धिति में माना जाता है कि उँगलियों के इन भागों पर दिए जाने वाले दबाव से श्वासनली और पेट की बीमारियों का इलाज होता है। इसके साथ ही पेशाब से जुड़ी हुई परेशानियों में भी यह मुद्रा राहत देती है। इस मुद्रा को हमेशा दोनों हाथों से करना चाहिए। इससे आपको अधिक लाभ मिलता है। अपान मुद्रा को करने से शरीर की नाड़ियों की शुद्धि होती है। पेट अच्छे से साफ़ होता है। व्यक्ति को गैस और पेट से जुड़ी हुई समस्याओं में आराम मिलता है। इस मुद्रा को करने से नींद न आने की समस्या भी दूर होती है। मधुमेह की समस्या में भी यह मुद्रा लाभ देती है। इस मुद्रा को करने से किडनी भी स्वस्थ्य होती है। हृदय भी मजबूत बनता है।
ध्यान रखें अपान मुद्रा करने से व्यक्ति को कुछ समय के लिए पेशाब अधिक आने की परेशानी हो सकती है। लेकिन इससे घबराएं नहीं। धीरे-धीरे आप सामान्य हो जाएंगे। इसके साथ ही जो महिला गर्भवती है उसे आठवें महीने तक इस मुद्रा को नहीं करना चाहिए। नौवां महीना शुरू होते ही वह इस मुद्रा का अभ्यास कर सकती है। आपको सलाह दी जाती है कि किसी भी तरह से मुद्रा का प्रयोग करने से पहले किसी डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
अपान मुद्रा शरीर के आधारिक वायु बिल्कुल और प्रभावी रूप से स्थित करने का एक प्राकृतिक तरीका है। इस मुद्रा का अभ्यास नियमित रूप से करने से किडनी और हृदय को मजबूती मिलती है। इसे 15-15 मिनट तीन बार करने से भी लाभ होता है। अपान मुद्रा से श्वासनली, पेट की बीमारियाँ, गैस, पेट साफी, नींद ना आने की समस्या, मधुमेह, और किडनी स्वस्थ रहती हैं। ध्यान रखें कि गर्भवती महिलाओं को नौवें महीने तक इसे नहीं करना चाहिए और सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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