‘मोटे अनाज’ की फसलों को श्री (लक्ष्मी) और ‘श्रीपति’ (श्री हरि विष्णु) को प्रिय बताया गया है और इसे ‘श्रीधान्य फसलें’ के नाम से पुकारा गया है और इसे आधुनिक नाम ‘श्री अन्न’ दिया गया है। इन्हें अंग्रेजी में ‘मिलेट्स’ कहा जाता है।
मोटे अनाज का वर्गीकरण
‘श्री अन्न’ यानी मोटी फसलों में मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है :
1. बड़े दाने वाला मोटा अनाज : इसमें बाजरा (पर्ल मिलेट), ज्वार (सॉरगम मिलेट), रागी/मंडुवा (फिंगर मिलेट) मक्रा (मिलेट), जौ ब्राउनटॉप (बारले मिलेट), जई (ओट्स मिलेट) आदि अनाज शामिल हैं।
2. छोटे दाने वाला मोटा अनाज : इसमें कंगनी (फॉक्सटेल मिलेट), चीना/चेना (प्रोसो मिलेट), कोदो (कोदो मिलेट), सांवा (बानयार्ड मिलेट), कुटकी (लिटिल मिलेट) आदि अनाज आते हैं।
3. प्रच्छन्न (ढ़का हुआ) मोटा अनाज : इसमें कुट्टू (बकव्हीट मिलेट), चौलाई/रामदाना (एमरन्थस मिलेट) आदि शामिल हैं।
मोटा अनाज : गुणों का भंडार
स्वाथ्य की दृष्टि से ‘श्री अन्न’ बेहद गुणकारी है। इसी कारण इसे पोषक अनाज (न्यूट्री सिरीयल्स), सीमांत, परंपरागत, श्रीधान्य, सकारात्मक, जैव पारिस्थितिकी एवं जलवायु के अनुकूल और ‘सुपरफूड’ आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है। श्री अन्न में गेहूं एवं चावल के मुकाबले अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं।
प्रति 100 ग्राम के अनुपात में प्रचलित अनाज गेहूं एवं चावल के तुलनात्मक श्रीअन्न के आंकड़े प्रस्तुत हैं :
मोटा अनाज समय की मांग
अब ‘श्री अन्न’ आवश्यक ही नहीं, बल्कि समय की मांग भी बन चुका है। दुनिया को ‘फास्टफूड’ की नहीं ‘सुपरफूड’ की आवश्कता हो गई है। परिष्कृत आहार का सेवन करने के कारण लोग कुपोषण के भंयकर मकड़जाल में फंस चुके हैं। कुपोषण के कारण उत्पन्न अनेक असाध्य रोगों का सामना करना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन और भूमण्डलीय ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण वैश्विक स्तर पर पोषणयुक्त भोजन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के अनुसार भारत में आधे से अधिक बच्चे (51 प्रतिशत) अविकसित और सामान्य से कम वजन के हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक 14 अक्तूबर, 2021 तक देश में 33 लाख से अधिक कुपोषित बच्चे थे। एक अनुमान के अनुसार देश में 40 प्रतिशत बच्चे (स्कूल जाने से पूर्व) शहरी में आयन की कमी के कारण रक्तहीनता (एनीमिक प्रोब्लम) के शिकार हैं। कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिए श्रीअन्न यानी मोटे अनाज का प्रयोग बेहद जरूरी हो गया है। पौष्टिकता के लिए तो श्रीअन्न अपनी अलग पहचान रखते हैं। मोटा अनाज अनेक गंभीर बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। श्री अन्न सूखा एवं कठोर प्रतिरोधी फसलें हैं, जिन्हें अनेक अभावों के बीच भी आसानी से उगाया जा सकता है। ये फसलें जलवायु परिवर्तन का सामना करने में भी सक्षम हैं।
मोटा अनाज की विशिष्टताएं और औषधीय गुण
‘श्री अन्न’ (मोटा अनाज) गुणों का भण्डार है। कोई भी ऐसा मोटा अनाज नहीं है, जिसमें औषधीय गुण विद्यमान न हों। अगर, हम इन गुणों से परिचित हो जाएं तो दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। मोटे अनाजों में सामान्यत: 60-70 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट्स, 7-11 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 से 5.0 प्रतिशत वसा, 2-7 प्रतिशत कच्चा रेशा, खनिज एवं विटामिन आदि होते हैं। मोटे अनाजों में ऑक्सीकरण प्रतिरोधक एवं कोलेस्ट्रोल संतुलन के गुण प्रमुखता से पाए जाते हैं। इनमें पाए जाने वाले प्रोटीन अंश में प्रमुख मात्रा में ट्रिप्टोफैन, सिस्टीन, मैथीयोनीन एवं संपूर्ण एरोमैटिक अमीनों अम्ल आदि पाया जाता है जोकि मनुष्य के स्वास्थ्य एवं शारीरिक वृद्धि में कारगर होताहै। इनका उपयोग गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और बीमार बच्चों के लिए बेहद लाभदायक होता है। मोटे अनाज बेहद सुपाच्य और पाचन तंत्र को मजबूत करने वाले होते हैं। इनमें मौजूद सेरोटोनिन व्यक्ति की मनोदशा को शांत करने में मदद करता है। मोटा अनाज एक प्रोबॉयोटिक के रूप में आतों के लाभदायक माइक्रोफ्लोरा के भोजन के काम आता है। यह मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण औषधि का काम करता है। मोटे अनाजों में मौजूद नियासिन (विटामिन बी 3) कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत मदद करता है।
1. बाजरा (पर्ल मिलेट)
मोटे अनाजों में बाजरा विशिष्ट स्थान रखता है। इसे अनाजों का ‘राजा’ कहा जाता हैं। इसमें अमीनो एसिड, कैलिशयम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और विटामिन बी-6, विटामिन सी, विटामिन ई और खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। सर्दियों में इसकी रोटी और खिचड़ी बनाकर खाई जाती है। यह शरीर में ऊष्मा (गर्मी) पैदा करके शरीर को सर्दी से बचाता है। बाजरा में प्रोटीन का भण्डार भरा होता है। यह हमारी हड्डियों को मजबूत करता है। इसमें मैथाइन, ट्राइप्टोफान और इनलिसाइन बड़ी मात्रा में मिलता है। यह थायमीन/विटामिन-बी का बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसके साथ ही बाजरा आयरन और कैल्शियम का भंडार भी है। इसमें रेशा (फाईबर)की अधिकता होती है, जिसके कारण यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और मोटापा घटाने में मदद करता है। इसमें मौजूद ऐंटी-ऑक्सिडंट्स नेत्र ज्योति को बढ़ाते हैं। बाजरा अच्छी नींद लाने वाली कारगर औषधीय अनाज है और साथ ही यह मासिक धर्म के दर्द को भी कम करने में सहायक होता है। सबसे खास बात यह है कि यह अनाज कैंसररोधी भी है। यह कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में काफी मदद करता है।
2. कोदो (कोदो मिलेट)
कोदो में लेसिथिन अमीनो एसिड की उच्च मात्रा होती है। इसमें विटामिन खनिजों के बीच विटामिन बी, विशेष रूप से नियासिन, बी-6 और फोलिक एसिड का सर्वोत्तम स्त्रोत है। इसमें कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स विद्यमान होते हैं। अगर, इसका सेवन पोस्टेमेनोपॉजल महिलाओं द्वारा नियमिलत रूप से किया जाए तो यह उन्हें उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर जैसे हृदय संबंधी विकारों को दूर करने में काफी फायदा पहुंचाता है।
3. चीना/चेना (प्रोसो मिलेट)
यह ‘श्रीधान्य’ फसलों में प्रमुख स्थान रखता है। इसे आम तौरपर ब्रूमकॉर्न बाजरा के रूप में भी जाना जाता है। यह बाजरा की एक प्रजाति है। इसमें फाईबर, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक और पोटेशियम आदि मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके बीज प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट्स एवं विटामिन्स युक्त होते हैं और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं। यह एक पूर्णत: स्वस्थ आहार होता है। इससे शरीर को काफी ऊर्जा मिलती है। यह ग्लूटेन फ्री होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए एक उत्तम आहार है। यह जुकाम, खांसी एवं अन्य कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
4. कंगनी (फॉक्सटेल मिलेट)
कंगनी एक महत्वपूर्ण पौष्टिक अनाज है। इसके रोटी, भात, खीर और अन्य अनेक तरह के व्यंजन बनाकर खाए जाते हैं। इसके साथ ही इससे बिस्कुट, लड्डू, इडली और मिठाईयां भी बनती हैं। इसमें अनेक विटामिन, फाइबर, प्रोटीन और पोषक तत्व होते हैं, जोकि शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि कंगनी डायबिटीज के रोगियों के लिए उत्तम आहार है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स प्रचूर मात्रा में होते हैं। इसके साथ ही, यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी बेहद मददगार है।
5. कुट्टू (बकव्हीट मिलेट)
कुट्टु भारत में उपवास के दौरान फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुट्टु के आटे से बने व्यंजन भी बनाए जाते हैं। यह मधुमेह के अनुकूल होता है और रक्तचाप को कम करने में बेहद उपयोगी है। हृदय स्वास्थ्य के लिए यह बेहतर अनाज है। यह वजन कम करने में सहायक है। यह स्तन कैंसर, बच्चों में अस्थमा एवं पित्त की पत्थरी से बचाने में भी मदद करता है।
6. ज्वार (सॉरगम मिलेट)
ज्वार दुनिया का पांचवा सबसे सर्वोच्च अनाज है। यह प्रोटीन का सबसे उत्तम स्त्रोत है। यह फाईबर से भरपूर होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करने और वजन कम करने में बेहद कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है और कॉपर एवं आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या को तेजी से बढ़ाता है। इसके साथ ही यह अनाज खून की कमी को दूर करने में बहुत सहायक सिद्ध होता है। यह कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। इसका प्रयोग गर्भवती महिलाओं के लिए डिलीवरी के उपरांत बेहद लाभदायक होता है। इसमें पोटेशियम और फॉस्फोरस की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है। ज्वार का प्रयोग बेबी फूड बनाने में किया जाता है। हृदय संबंधी अनेक रोगों में यह लाभदायक सिद्ध होता है।
7. कुटकी (लिटिल मिलेट)
यह एक महत्वपूर्ण पौष्टिक अनाज है। इसमें कार्बोहाइड्रेट्स, मैग्नीशियम, प्रोटीन, मैगनीज, कैल्शियम, थायमिन/विटामिन बी-1, थियासिन/विटामिन-बी 3, राइबोफ्लेविन/विटामिन-बी 2, फोलिसक एसिड/विटामिन बी-9, आयरन, फास्फोरस, फाइबर आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मशल्स को मजबूत करता है, इम्यूनिटी को बढ़ाता है, हड्डियों को मजबूत करता है, दिमागी शक्ति दुरूस्त रखता है, पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, अनिद्रा रोग को दूर करता है, मधुमेह रोग में बेहद गुणकारी होता है, कैंसर रोगी को काफी राहत देता है और हृदय को ताकत देता है।
8. रागी/मंडुवा (फिंगर मिलेट)
रागी/मंडुवा (मिलेट) यह उच्च पोषण देने वाला अनाज है। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक मात्रा में पाई जाती है। यह बहुत सुपाच्य है। यह कैल्शियम, आयरन और कार्बोहाईड्रेट का बहुत अच्छा स्त्रोत है। यह मधुमेह (डायबिटीज) रोग में बेहद फायदेमंद होता है। यह अनिद्रा और तनाव को दूर करने में मदद करता है। ऑस्टेपेनियो या ऑस्टोपोरेसिस के रोगियों के लिए बेहद लाभदायक है। यह लेक्टोज की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी राहत देता है। यह पोलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम के रोगियों को काफी लाभ देता है और मूत्र प्रक्रिया को सुचारू रखता है। रागी/मंडुवा छोटे बच्चों के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है।
9. सांवा (बानयार्ड मिलेट)
यह पौष्टिकता से भरपूर होता है। इसे सामा या सांवक के नाम से भी जाना जाता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, उच्च फाइबर, विटामिन-बी, और अनेक गुणकारी मिनरल्स पाए जाते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह रक्तशर्करा एवं लिपिड स्तर को कम करने में काफी प्रभावकारी होता है। यह डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह कोलेस्ट्रॉल को घटाने में काफी मददगार साबित होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
10. मक्रा (ब्राउनटॉप मिलेट)
यह थोड़े तीखेपन के साथ बेहद स्वादिष्ट होता है। इसमें अमीनो एसिड, प्लांट कम्पाउंड्सकम्पाउंड्स, विटामिन-बी 17 और अनेक गुणकारी मिनरल्स पाए जाते हैं। यह फाइबर का बहुत अच्छा स्त्रोत होता है। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर मौजूद होते हैं। इसमें एंटी कैंसर के गुण समाहित होते हैं। यह पूरे शरीर को साफ करने में सहायक होता है। यह आंत संबंधी समस्याओं को दूर करने में बेहद कारगर सिद्ध होता है। यह शरीर को मजबूत और निरोग बनाए रखता है। यह हृदय संबंधी रोगों से रक्षा करता है। यह मधुमेह में बेहद फायदेमंद होता है। यह नशे से छुटकारा दिलाने में बेहद सहायक सिद्ध होता है।
11. जौ (बारले मिलेट)
जौ पोषक तत्वों से भूरपूर होता है। इसमें गेहूं से भी अधिक प्रोटीन और फाईबर होता है। इसमें आयरन, मैग्निशियम, पोटेशियम, कैल्शियम जैसे अनेक महत्वपूर्ण मिनरल्स पाए जाते हैं। जौ में सबसे अधिक अल्कोहल पाया जाता है। इसमें आठ तरह के अमीनो ऐसिड मौजूद होते हैं, जो शरीर में इंसुलिन के निर्माण में काफी मदद करते हैं। हृदय से जुड़े रोगों के निवारण में जौ बेहद कारगर साबित होता है। यह वजन को कम करने, डायबिटीज को नियंत्रित करने और ब्लड प्रेशर को संतुलित करने में काफी मददगार साबित होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
12. जई (ओट्स मिलेट)
इसमें कैल्शियम, जिंक, मैंग्नीज, आयरन, विटामिन बी, विटामिन ई आदि प्रचूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें 12 से 14 प्रतिशत प्रोटीन मौजूद होता है। इसके साथ ही यह बी-कॉम्पलेक्स एवं कार्बोहाईड्रेट्स का भी अच्छा स्त्रोत होता है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड बढ़ती उम्र वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके साथ ही यह डिसलिपिडेमियो और डायबिटीज जैसे रोगों में भी बेहद कारगर सिद्ध होता है।
13. चौलाई/रामदाना (एमरन्थस मिलेट)
यह मुख्यत: लाल और हरे रंग की होती है। इसमें आयरन और कैल्शिम भूरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह प्रोटीन और अमीनों एसिड का बहुत अच्छा स्त्रोत है। रामदाना उपवास के समय उपयोग किया जाता है। यह बेहद पौष्टिक होता है। प्राचीनकाल से ही लोग इसका प्रयोग ऊर्जा और पौष्टिकता की जरूरतों के अनुसार प्रयोग करते आ रहे हैं। इसे लोग भगवान का दान मानते थे। इसमें पोटेशियम, फास्फोरस, विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें मोटापा कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। इनके अलावा, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले दो फाइटोकेमिकल्स टोकोट्राईनाल्स और फाईटोस्ट्राल्स भी पाए जाते हैं। यह बालों को सफेद होने और झड़ने से भी रोकता है। इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक (स्वतंत्र)