हाल ही में उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ के पट खुलते ही लाखों श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ इन तीर्थों में जमा हुई की कई दिनों से ट्रेफिक जाम की स्थिति बन गई है , लोगों को कई-कई घंटों तक अपने वाहनों में ही गुजारना पड़ रहे हैं ,
हिमालय जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इतनी भीड़ पर्यावरण की दृष्टि से सही नहीं है , साथ ही विकास के नाम पर हिमालय में हो रहे विनाश का खेल भी उचित नहीं
है , यहां के बाशिंदे हिमालय की शांति भंग ना हो इसका ध्यान रखते हुए ऊंची आवाज में बोलते भी नहीं है , पेड़ों को देवतुल्य समझ पूजा करते हैं ,वहीं विकास के नाम पर अब यहां वनों को काटा जा रहा है , बड़ी बड़ी-बड़ी सुरंगें खोदकर नदियों का मुख मोड़ा जा रहा है , जिससे कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की स्थिति निर्मित हो रही है , पर्यावरण के साथ ही जैव विविधता और कई तरह की वनस्पतियां और जड़ी बूटियों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है हिमालय भारत की जलवायु और मौसम के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है , यदि हिमालय ही असंतुलित हो गया तो फिर हमारा पर्यावरण भी बिगड़ जाएगा , ग्लेशियरों के पिघलने की यही रफ्तार रही तो धीरे-धीरे सब ग्लेशियर पिघलकर सूख जाएंगे ,
17-01-1967