🙏हनुमानजी के चिरंजीवी होने की रहस्य🙏
🕉️११.०७.२०२४🕉️
साक्षात रुद्रावतार मान्यता प्राप्त तथा श्री रामभक्त श्रीबजरंगबलीजी को त्रेतायुग में माता सीता जी से चिरंजीवी होने की अमरत्व- वरदान मिला था। इसके साथ भगवान श्रीराम जी के आज्ञा से धरती पर दुष्टों का विनाश कर, रामभक्तों को सुरक्षित रखने का परम सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था।।
महाभारत हो या रामायण, दोनों में बजरंगबली कीअहम भूमिका निभाई है। रामायण में तो वे श्रीराम जी के अत्यंत प्रिय भक्त तथा आज्ञाकारी सेवक थे।महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह उनके दर्शन मिले हैं। इस में विस्मय की कोई बात नहीं है कि-- क्यों रामायण तथा महाभारत के सभी पात्रों का समापन होने के बावजूद भी हनुमान जी हजारों- लाखों सालों तक जीवित रहे हैं।।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण- अधिकृत लंका में सीता माता की खोज के समय हनुमान जी जब लाख कोशिशों के बावजूद भी सीता माता को लेकर हताश हो गए थे, तब प्रभु श्रीराम जी को स्मरण कर पुनः जोश में आ गए। इसी के बाद खोज के लिए अशोक वाटिका में घुसकर छिप- छिपकर ढूंढने लगे तो, सहसा अशोक वृक्ष के नीचे बैठी सीता माता को देखकर खुशी से नाच उठे।।
इसी के बाद अपूर्व दृश्य के साथ माता- पुत्र के मिलन हुआ और पुत्र हनुमान से प्राप्त श्रीराम की रत्न मुद्रिका को करतल में रखकर सीतामाता रोने लगीं। हनुमान जी ने उन्हें दिलासा देकर प्रभु श्रीराम जी के बारे में सबकुछ बताने से उनमें उम्मीद जागी। सीता माता जी रोना बन्दकर सोचने लगीं कि-- दूसरों के लिए जो असम्भव था, सिर्फ हनुमान ने ही उसको सम्भव करके दिखाया तो, वह आशीर्वाद में वरदान पाने के लिए योग्य पात्र है। अत्यंत प्रसन्ना सीता माता ने वहाँ अशोक वाटिका में ही हनुमान जी को आशीर्वाद स्वरूप "अमरता" का वरदान दे दिया और उस समय से चिरंजीवी हनुमान जी रामभक्तों की रक्षा करते आये है।।
इस रहस्य को गोस्वामी जी ने भी लिखा है-- "अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता।।" अर्थात – ‘आपको माता जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं।।"
सीता माता से अमरत्व वरदान प्राप्त होकर हनुमान जी बोले थे-- "हे माता, आपने मुझे अमरता का वरदान तो दे दिया, लेकिन मैं मेरे प्रभु श्रीराम के बिना धरती पर क्या करूँगा ! आप अपना दिया हुआ वरदान को वापस ले लीजिए माता !!"
रामकथा- प्रवक्ताओं के अनुसार उस दौरान सीता माता ने श्रीराम का स्मरण किया, तो कुछ देर में वहाँ पर श्रीराम जी प्रकट होकर शंकित हनुमान को समझाया था । "देखो भक्त हनुमान, धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता, कोई भी अमर नहीं है। तुमको तो वरदान है हनुमान ! एक समय ऐसा भी आएगा की धरती पर कोई भी देवी- देवता नहीं रहेंगे। तब धरती पर पापियों का नाश और राम के भक्तों का उद्धार तुम्हें ही करना पड़ेगा। इसलिए तुम्हे अमरता का वरदान दिया गया है।।"
-- तब से हनुमान जी अपने अमरता के वरदान को राम की आज्ञा समझ कर आज भी धरती पर विराजमान हुए हैं।। 🙏🙏जय जय सियाराम🙏🙏 🙏🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🙏