बाकी सब ठीक है

बाकी सब ठीक है

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26 May '24
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सड़के टूटी है तो क्या

लोग गिरते हैं तो क्या

चोट लगती है तो क्या

बाकी सब ठीक है

बाकी सब ठीक है

यहां टेंडर पर टेंडर खुल जाते है

यहां फायदे के लिए 

नुक्सान करवा दिए जाते है

यहां सड़को पर तो 

सड़के बनवा दी जाती है

टूटी फूटी सड़के 

बाट दोहती रह जाती है

कई बार सड़के 

कागज पर ही  सिमट कर

फल फूल जाती है

 फिता काटने के चक्कर

सड़को की लंबाई चौड़ाई

की बाते 

बिना फूुट के ही  हैं  

फिता बन जाती है

बाकी सब ठीक है

बाकी सब ठीक है

मेिलवट की बात 

तो कोई सोचता नही

वो हवा पानी धूल मेिट्टी

आपस के व्यवहार 

और व्यापार के हित 

लाभ के लिए

ऐसी स्थिति तो

कई बार क्या

हर बार में ,बार बार

बन जाती है 

बाकी सब ठीक है

बाकी सब ठीक है 

कहते है  पारितोश

रख कर दिल में संतोष

ऐसी  हरकत से ही तो

सरकारी लोगो की 

सरकारी हो जाती है 

कविराज परितोष अरोरा "कौन "

फिरोजाबाद

Category:Poem



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Written by Paritosh Arora

कवि,पत्रकार

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