तभी अदवय की नजर उसकी घड़ी पे पड़ी । और वो अचानक से बोला । "अरे यार आज एक जरूरी मिटिग थी ! और मैं यही लेट हो गया चल बाय"।
लेकिन फिर शिवेश भी उसके साथ जाने लगा ।
और फिर वो दोनो वहा से अपने ऑफिस के लिए निकल गए ।
इधर हमारी सूर्या भी अपना हुलिया सही कर के ऑफिस के लिए निकल गई ।
अदवय और शिवेश दोनो बाते करते हुए ! अपनी कार से ऑफिस जा रहे थे !
तभी थोड़ी देर सोच के शिवेश बोला । " तुम सूर्या की बात कर रहे थे । " तब अदवय बोला ।" हां मैं उसी की बात कर रहा था ।"
तब नॉर्मली बिहेव में शिवेश बोला ।" हां तो क्या हुआ, अगर सूर्या को बता दिया तो इसमें गुस्सा करने वाली कौन सी बात है । और हां वो तो मुझे अभी हॉस्पिटल के गेट पे मिली थी ।
तभी अदवय अचानक से बोला ।" क्या हुआ ! मतलब, वो लड़की कल दिन में दो बार आ गई थी वहा ।"
और फिर वो थोड़ी देर चुप रहा ! और फिर बोला ।" तू भी न यार क्यू बताया तुझे पता है ! न उस सरफिरि लड़की के बारे में कैसी है ! वो छोटी–छोटी बातो पर इतना हंगामा कर देती है ।"
अदवय की बातो को सुन कर शिवेश बहोत ही नर्मी से बोला ।" अरे’ यार तू क्यू सूर्या से इतना चिढ़ता है । अच्छी तो है, सबकी केयर करती है ।"
“और सबसे अच्छे से बात भी तो करती है । और क्या चाहिए तुझे ।”
तब अदवय फिर से बोला ।" क्या ! वो miss attitude अच्छे से बात करती है । मेरे से तो जब भी मिलती है । लड़ती ही रहती है ।"
फिर शिवेश मुस्कुराते हुए बोला ।" तुझसे लड़ेगी नही तो क्या करेगी , तू कभी भी सूर्या से अच्छे बिहेव में बात करता है । जो उसे बोल रहा है ! "
फिर अदवय बोला ।"मैं उससे लड़ता हूं ! या वो मुझसे लड़ती है । और तू अगर वो मेरी बाते मन लेती तो मैं उससे अच्छे से बात तो कार्य न, जैसे सबसे करता हूं "।
तब शिवेश बोला ।" अच्छा जी आप अच्छे से बात करते, देखो अदवय अगर तुम किसी को बार–बार हर्ट करोगे ! तो वो इन्सान कैसे तुमसे अच्छे से बात करेगा ।"
फिर थोड़ी देर बाद शिवेश बोला ।" तुम मानो या ना मानो सच में सूर्य बहोत अच्छी लड़की है । वरना तुम्हारे ऐसे बिहेव करने पे कोई भी यहां नही आती , और हां उसने ही बोला मुझे तुम्हे दवा भी देने को ।"
और हा तुम्हे जो सोचना है । सोचो पर मेरी नजर में सूर्या बहोत ही अच्छी लड़की है ।
तब फिर अदवय गुस्से में बोला ।"तू पहले ये बता की तू मेरा दोस्त है । या उसका हां ।"
तब शिवेश बोला । “मैं दोस्त तो तुम्हारा ही हूं ! लेकिन जो सही है ! मैं वही बोल रहा हूं ।”
थोड़ी देर बाद फिर शिवेश बोला ।" अच्छा ये सब छोड़ो चलो पहले दवा खा लो, और हां अब सो जाना ठीक है, अब मैं भी चलता हूं, ! ok bay Good night 🌉🌃🌉 ।"
तब अदवय भी शिवेश को "Good night बोल के "सो गया ।
फिर शिवेश वहा से अपने रूम पे जाने के लिए निकल गया ।
शिवेश के जाने के बाद अदवय सोने की कोसीस तो बहोत करता , लेकिन अदवय जब भी अपनी आंखे बंद करता ! तो उसे सूर्या का ही चेहरा दिखाई देने लगता है ।
जिसकी वजह से अदवय की आंखे खुल जाती थी । और फिर अदवय पूरी रात सो नहीं पाया था । जिसके कारण अदवय और भी ज्यादा चिड़ने लगा था ।
इधर हमारी सूर्या भी अपने घर पे पहुंच गई । तो सुमन जी सूर्या का इंतजार कर रही थी ।
सूर्या को देखते ही सुमन जी अपने घर के बाहर दरवाजे के बगल में रखी चेयर पे बैठी हुई थी । लेकिन सूर्या को देखते ही तुरंत खड़ी हो गई ।
अभी सूर्या अपनी स्कूटी पर ही थी । की तभी सुमन जी के सवालों के बौछार करने लगी थी ।
सुमन जी इतने सारे सवालों को एक साथ सुन के सूर्या समझ गई । की सुमन जी थोड़ा गुस्से में थी ।
लेकिन सूर्या बहोत ही आराम से बोली ।" आराम से मां, मैं आप को सब कुछ बताती हूं , पहले अंदर चले मुझे बहोत तेज से भूख लगी है । प्लीज मां ।"
तब सुमन जी बोली ।" हां चलो, लेकिन हुआ क्या है । जो इतना लेट हुआ ! तुझे, बता ना सूर्या क्या बात है ।"
तभी सूर्या सुमन जी की बातो को टालते हुए बोली ।"अरे ! मां मैं बताती हूं न पहले मुझे खाना तो खिला दो न बहोत तेज भूख लगी है प्लीज मां ।"
तब सुमन जी सूर्या से बोली । “ हां, मैं खाना लाती हू ! तू जाके पहले हाथ मुंह धो तो ले ।”
तब सूर्या बोली ।" हां मां मैं हाथ मुंह धो के आती हूं "।
फिर सूर्या वहा से चली गई । और फिर सुमन जी भी अपने कामों में लग गई ।
सुमन जी खाना गरम कर के सूर्या के लिए आई । लेकिन सूर्या का अभी तक कोई पता नहीं चल रहा था ।
तभी सुमन जी फिर से तेज आवाज में बोली ।" अरे ! सूर्या कहा रह गई, तेरा खाना फिर से ठंडा हो जायेगा । "
तभी सूर्या वहा आ गई । और बोली ।" हां मां आ गई, दे दो खाना मुझे ।"
फिर सुमन जी सूर्या को खाना दे दी । और फिर सूर्या से पूछने लगी । “की क्या हुआ था जो तू इतना लेट हो गई बता मुझे ।”
फिर सूर्या सुमन जी की बातो टालते हुए बोली ।"मां मुझे एक और रोटी देना न बहोत भुख लगी है ।"
तब सुमन जी सूर्या के लिए रोटी लाने चली गई । तभी सूर्या अपने मन में बड़बड़ाने लगी ।"अगर मां को बताया कि अदवय का एक्सिडेंट हो गया है । तो बहोत परेशान हो जायेगी " ।
तभी वहा सुमन जी आ गई । और सूर्या को अकेले बड़बड़ाता देख सूर्या से पूछ दी ।"क्या हुआ किस्से बात कर रही है । तू और ये क्या बोल रही है एक्सिडेंट (किसका एक्सिडेंट हो गया है"।)
तब सूर्या अपनी मां सुमन जी को सब बताती है । जो भी अदवय के एक्सिडेंट के बारे में ।
लेकिन सूर्या सुमन जी को अदवय के एक्सिडेंट की वजह नही बताती है ।
तब सुमन जी बोली ।"अब कैसा है अदवय, तू गई थी न उससे मिलने बता मुझे ।"
तब फिर से सूर्या बोली ।" हां मां मैं गई थी इसीलिए तो मुझे घर आने में लेट हो गया ।और हा अदवय अब ठीक है दो–तीन दिन में डिस्चार्ज भी हो जायेगा"।
तब सुमन जी एक गहरी सांस लेती है । और बोली ।"हे शिव जी उस बच्चे पर कितना केहर ढाओगे। बस आप से यही बिनती है । उस बिन मां के बच्चे का ख्याल रखना ।"
अपनी मां की बाते सुन के सूर्या भी भगवान जी परथना करने लगती है।
और थोड़ी देर कुछ सोचने लगती है। फिर अपनी प्लेट किचन में रख के और हाथ धो के वहा से चली जाती है
क्या चल रहा था सूर्या के दिमाग में जानने के लिए जुड़े रहिए
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