कहानी:-
फिल्म की शरुआत होती है 90 के दशक में एक प्रेमी जोड़े विकी और विद्या की शादी से.. दोनों विवाह करने के बाद हनीमून मनाने गोवा जाते हैं और वहाँ अपने निजी पलों की एक वीडियो बना लेते है.. अब चूँकि वो नब्बे के दशक है और उस समय सीडी कैसेट का जमाना होता था.. तो अपने निजी पलों का वीडियो सीडी कैसेट में कैद कर लेते हैं। एक दिन उनके घर में चोरी हो जाती है और बाकी सामान के साथ ही सीडी प्लेयर भी चोरी हो जाता है ,जिसमें उनकी सीडी कैसेट लगी हुयी थी। इसी चोरी को लेकर कहानी का ताना बना बुना गया है और आखिर कैसे कैसे विकी सीडी कैसेट का पता लगाता है और कैसे कहानी उस सीडी कैसेट से चलके दूसरे वीडियो के लीक होने तक पहुंच जाती है। इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
लेखन और निर्देशन :-
कहानी को बहुत ही औसत तरीके से लिखा गया है और उसी तरह से निर्देशन भी औसत ही है। हाँलांकि फिल्म के डायलॉग जरूर अच्छे से लिखे गए हैं और कुछ पंचलाइंस को सुनते वक्त आपको हंसी आ सकती है।फिल्म में गानों के माध्यम से 90 के दशक का नोस्टाल्जिया क्रिएट करने की कोशिश की गयी है..फिल्म के आखिरी भाग में एक ट्विस्ट भी डाला गया है जोकि काफी बढ़िया था। फिल्म में स्त्री नाम का कैरेक्टर भी अंत में दिखाया गया है लेकिन उसका स्त्री मूवी यूनिवर्स से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है।उसको बस फिल्म की हाइप बनाने के लिए डाला गया है। जिसका मेकर्स ने अच्छा इस्तेमाल किया। फिल्म अपने आखिरी सीन में एक संदेश भी देती हुयी नजर आती है कि आज के इस समय में हमें अपने निजी पलों का वीडियो या प्राइवेट फोटोज भूल से भी शूट नहीं करना चाहिये। उस वक्त नब्बे का दशक था लेकिन आज सोशल मिडिया के जमाने में तो कुछ भी छुपा हुआ नहीं है ,तो ऐसी गलती भूल कर भी नहीं करें।
अभिनय:-
राजकुमार राव हमेशा की तरह अपने किरदार में सफल रहे ,उनका किरदार कुछ कुछ स्त्री मूवी के विकी के ही समान रहा,इसलिए कुछ नयापन नहीं लगा। तृप्ति ढिमरी ओवरएक्टिंग करती नज़र आयीं। विजय राज और टिक्कू तलसानिया ने अपने किरदारों के साथ भरपूर न्याय किया है। उनकी डायलॉग डिलीवरी और कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त रही। अर्चना पूरन सिंह ने भी ठीक ठाक अभिनय किया और मल्लिका शेरावत के हिस्से में अच्छी खासी पंच लाइंस आयीं लेकिन वो ओवरएक्टिंग के चलते उन्हें भी ठीक से नहीं बोल पायीं और करती नज़र आयीं।
देखें या न देखें :-
फिल्म एक एडल्ट मुद्दे पर जरूर बनाई गयी और फिल्म में डिस्क्लेमर भी दिया गया है कि फिल्म 97% पारिवारिक है लेकिन फिर भी कुछ एक सीन ही ऐसे हैं जो एडल्ट की श्रेणी में आते हैं। यानिकि अगर आपके बच्चे समझदार हैं और आपके घर में इस तरह के मुद्दे को बस एक मनोरंजन समझ के देखा जा सकता है तो फिल्म आप सपरिवार देख सकते हैं। कई जगह फिल्म में ऐसी कॉमिक सिचुएशन हैं जिनको देखकर हंसी आयेगी और फिल्म आपको कहीं भी बोर नहीं करती है।
कुल मिलाकर मूवी वन टाइम वाच है और देखी जा सकती है।
जानकारी स्रोत :-स्वयं का अनुभव
चित्र स्रोत:- गूगल