वर्तमान में तनाव हर घर परिवार, समाज एक जाना पहिचाना नाम है तनाव एक प्रत्येक परिवार एक हर आयु वर्ग एक सभी लोग पीड़ित हैं, पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चे ही पीड़ित नहीं हैं इसलिए इस आयु वर्ग के बच्चे अपना स्वाभाविक और नैसर्गिक जीवन जीते हैं और जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद लेते हैं जिससे उनके चेहरे पर ख़ुशी स्पष्ट देखी जा सकती हैं,
यही ख़ुशी देख कर बच्चे के जान पहिचान वाले आनंद का अनुभव करते हैं और ऐसा ही जीवन जीना चाहते हैं
क्या बच्चों जैसा जीवन जीया जा सकता है या फिर यही कहे कि तनाव रहित जीवन जीया जा सकता है
तो इसका उत्तर है हाँ ऐसा जीवन जीया जा सकता है
तनाव व्यक्ति को सदैव नुकसान देता हैं. यह मनुष्य का ज्यादा से ज्यादा नुकसान करता है
इन नुकसानों में आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक, पारवारिक, भावनात्मक, परिश्रम और समय का बहुत नुकसान करता हैं.
सबसे बड़ा नुकसान तो पश्चाताप के रूप में करता हैं. जोकि यह है कि जो सफलता जो प्रतिष्ठा आप प्राप्त कर सकते थे, वो तनावग्रस्त व्यक्ति कभी प्राप्त नहीं कर सकता हैं.
तनावग्रस्त मनुष्य के पास डर, क्रोध, हिंसा, असुरक्षा, हीनभावना, आत्मविश्वासहीन, मानसिक अपरिपकवता, बीमारियां, अभाव, निराशा, मतभेद,पश्चाताप होता है
तनाव अक्सर रूढ़िवादी,कम्फर्ट जोन औऱ नेगेटिव औऱ डरने वाले लोगों को होता है
तनाव हमेशा प्रतियोगिता, तुलना, आत्मविश्वास की कमी, लड़ाई झगड़ा, अनिरंतरता, अनुभवहीनता,परीक्षा, असंयम,मतभेद, अस्वीकार्यता अपूर्णता से आता है
जीवन के सहज़ सामान्य स्वभाव को जाने,समझें स्वीकार करें
जीवन के उतार चढ़ाव को समझें, स्वीकार करें
असफलता को स्वीकार करें, कमियां का आंकलन करें औऱ सबक की उपयोगिता और महत्व समझें औऱ सफलता के लिये सबक का उपयोग सीढ़ियों की तरह करें.
व्यक्ति औऱ रिश्तों के महत्व को समझें, स्वीकार करें.
आध्यात्मिक बनें.
परिवर्तन के महत्व को समझें, औऱ परिवर्तन के पॉजिटिव अस्पेक्ट को समझें औऱ परिवर्तन से जो अविष्कार हुए हैँ उन्होंने जीवन को कितना सरल सहज़ औऱ आसान बना दिया. इस पर विचार अवश्य करें.
हर वस्तु, घटन ा औऱ कार्य के महत्व को समझें और समाज में उसके स्थान औऱ उपयोगिता को समझें औऱ स्वीकार करें.
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