चाय "दवा या नशा"

चाय पे चर्चा...

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19 May '24
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चाय का नाम सुनते ही लोगो को इसकी खुशबू के साथ इसके कड़क स्वाद याद आ जाते है।और फिर घर की औरतों को तुरत फटा फट चाय बनाने का आदेश दे देते है।बेचारी घर की औरते जो की कम कर के थकी होती है, पता नही कैसे उन्हे भी चाय बनाने की उत्साह जाग जाती है।

आजकल चाय , ये तो अब छोटे बच्चो को भी भाने लग गया है, जी हां इसकी खुशबू किसी के भी मन को मोहित कर ही लेती हैं। अब बच्चो के बीच बैठ चाय पीएंगे तो बच्चे भी तो उसकी खुशबू से प्राभावित होंगे ही।जब माता पिता सुबह शाम चाय की चुस्की लेते देखे जाते है फिर तो छोटे बच्चे भी अपने मां पिता जी को एक टक घूरते ही रह जाते है , और वे भी अपनी दूध की बॉटल को छोड़ चाय पीने को उत्सुक हो जाते हैं।और फिर रहा नही जाता  किसी से तो फिर क्या है थोड़ा स्वाद चखा भी देते है।

चाय की शुरुवात चीन देश से हुई फिर अंग्रेज भी हुए उसके दीवाने और फिर क्या था , अंग्रेजो के भारत आते ही कुछ दिन बाद भारतीय भी इसकी कड़क स्वाद से और इसकी बेमिसाल खुशबू से मंत्र मुग्ध हो कर इसे अपना लिया और अब तो हरेक भारतीय को इस स्वादिष्ट पेय की लत लग गई है।और ये कड़क स्वाद वाली गर्म पेय हम सबके लिए नशा बन चुकी है । सुबह से देर रात तक जब भी फ्रेश होने की बात आती हो, सफर से थक के आए हो या एग्जाम दे कर बड़े स्टूडेंट्स आए हो सभी में चाय की अहिमयत होती ही होती है।और ऐसे में समय चाहे कुछ भी हो कितना भी बज रहा हो चाय मिल जानी चाहिए बस।

मतलब जैसे कोई बीमारी लग जाती है ना , तो लोग कैसे दवा खाते है समय समय पे बस उसी प्रकार चाय प्रेमियों का भी यही हाल रहता है।

 

 

 

 

 

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Category:Health and Wellness



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Written by Gayatri Mishra Mishra