💫 रोक लो ना पापा
मत पड़ने दो ना इन कलम वाले हाथों
में चूड़ियां।
भाती होगी ओरो को ये चूड़ियां मुझे तो
हथकड़ियां सी लगती है।
💫रोक लो ना पापा
इन पैरों में पायल पड़ने से
ये पैर जिंदगी की दौड़ में दौड़ना चाहते है।
ये पायल जंजीर बन कर मुझे हर कदम पर रोक लेगी ।
💫रोक लो ना पापा
मुझे बंधन में बंधने से,
होता होगा जरूरी इस समाज के लिए
शादी में बंधना ,लेकिन मेरी तो आजादी ही
छीन जायेगी ।
हर कदम पर रोक टोक होगी , मेरे सपने
एक एक कर टूटेंगे, एक एक जिम्मेदारी सौंपी
जाएगी।
💫 रोक लो ना पापा
नन्ही सी जान को पहले काबिल बन जाने दो ना ,
खुद से खुद को संभाल सकूं इतना तो मजबूत बनने दो न,
पीहर में रह कर ।
यूं ना भेजो किसी और की जिम्मेदारी
बना कर ।
💫 काबिल हमसफ़र मैं नहीं चाहती पापा
पहले खुद को एक काबिल हमसफ़र बनाना चाहती हूं।
💫किसी की जिम्मेदारी नहीं ,खुद जिम्मेदारी संभालने
वाली बनना चाहती हूं ।
💫रोक लो पापा अपनी बेटी को।
साथ दो ना पापा मेरे सपने को पूरा करने में।
रोक लो ना पापा मुझे पराया होने से पहले ।
आकांक्षा रैकवार
I love writing,and reading ❤️
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