रोक लो ना पापा

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13 Jun '24
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💫 रोक लो ना पापा 

मत पड़ने दो ना इन कलम वाले हाथों

में चूड़ियां।

भाती होगी ओरो को ये चूड़ियां मुझे तो 

हथकड़ियां  सी लगती है।

💫रोक लो ना पापा 

इन पैरों में पायल पड़ने से 

ये पैर जिंदगी की दौड़ में दौड़ना चाहते है।

ये पायल जंजीर बन कर मुझे हर कदम पर रोक लेगी ।

💫रोक लो ना पापा 

मुझे बंधन में बंधने से,

होता होगा जरूरी इस समाज के लिए

शादी में बंधना ,लेकिन मेरी तो आजादी ही 

छीन जायेगी ।

हर कदम पर रोक टोक होगी , मेरे सपने

एक एक कर टूटेंगे, एक एक जिम्मेदारी सौंपी

जाएगी।

💫 रोक लो ना पापा 

नन्ही सी जान को पहले काबिल बन जाने दो ना ,

खुद से खुद को संभाल सकूं इतना तो मजबूत बनने दो न,

पीहर में रह कर ।

यूं ना भेजो किसी और की जिम्मेदारी 

बना कर ।

💫 काबिल हमसफ़र मैं नहीं चाहती पापा 

पहले खुद को एक काबिल हमसफ़र बनाना चाहती हूं।

💫किसी की जिम्मेदारी नहीं ,खुद जिम्मेदारी संभालने

वाली बनना चाहती हूं ।

💫रोक लो पापा अपनी बेटी को।

साथ दो ना पापा मेरे सपने को पूरा करने में।

रोक लो ना पापा मुझे पराया होने से पहले ।

आकांक्षा रैकवार 

Category:Poem



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Written by Aakanksha Raikwar

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