“कुछ रंग जिंदगी के”

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19 Jun '24
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जिंदगी एक ज्वलंत फूल की तरह ही है,
जो एक पल में खिलती है तो दुसरे पल में मुरझा जाती है।

घटनाओं को रंग देने से उन्हें जीने में आसानी हो जाती है, 
क्योंकि रंगहीन जीवन को जीतना कोई खेल नहीं है,
जिंदगी उत्साह और भरोसे का नाम है।

जब भी  गुजरना हो आग से  तो ,धुएँ के शुद्ध चिन्ह देखो
जब भी समुद्र से गुजरना हो तो ,जमीन की गहराई देखो, 
ऐसा नही है कि  कोई गर्म अंगारे में सही/गलत रास्ता नही ढूंढ सके, 
जिंदगी ऐसे पलो का नाम है जो वीरान को भी गुलशन बना देती है,
सहमे पड़े लम्हों को, खुशबू से महका देती हैं।

जैसा कि हम परिपूर्ण नहीं हैं,
सबकी शुरुआत अलग होती है,तुम कहाँ से आये हो ये देखो, 
राहो में उलझने के बजाय, मंजिल पर ध्यान रखो।
सबकी मंजिल अलग है और यात्रा भी,
माना कि मंज़िल हासिल करने में, परेशानी बहुत सी आती है, पर आसानी से मिल जाये वो मंजिल ही कैसी।

इंसान होने का मतलब ही यही है कि,
वो हर किसी के दर्द और खुशी को महसूस करे,
दूसरो के दुख मे साथ दे और उनके सुख में खड़े रहे।
जब तक जीना हैं, हँसते खेलते जियो।

माना कि जीना चाहिए खुद के मुताबिक, पर दूसरो के लिए भी कभी जी कर देखों,
किसी के ज़ख्मो को अपने लफ़्ज़ों से, एक बार तो सी कर देखों।
यकीन मानो, हमारी वजह से अगर किसी के मुरझाये चेहरे पर नूर आता हैं, तो इस से बड़ा सुकून किसी चीज़ में नहीं।

जीते जी जो हासिल करना है कर लो, क्योंकि मौत सबको आनी है और मौत किसी को लम्हें सजाने का वक़्त नही देती।
जिंदा रहते कुछ तो ऐसा करो, कि तुम्हारे जाने के गम में लोगों की आँखों मे ऑंसू हो, ना कि हँसा जाये तुम्हारी मौत पर।

जैसा कि कहा जाता हैं, 
ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए, लम्बी नहीं।

Category:World



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Written by Kiran Kaithwar

लफ्ज़ ए बयां

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