मेरा उन सब से क्षमा माँगने का दिल करता है,
उनका पक्ष भी सुनने का मन करता है,
उनकी पीड़ा को,
उनके भावों को,
उनके अभावों को,
जानने का मन करता है।
कितना ही समय लगता है दूसरों का जीवन सिर्फ़ देख कर उसके बारे में राय बना लेने में और उसे अच्छे या बुरे किसी एक श्रेणी में डाल देने में?
हम नाम मात्र की भी कोशिश नहीं करते, किसी के जीवन को, उसके मनोभाव को समझने की,
हम हमेशा जल्दी में होते हैं, अच्छा ढूँढने में,
ख़ुद से ऊपर,
ख़ुद से अच्छा,
सर्वश्रेष्ठ को ढूँढते रहते हैं, और उसी के साथ रहना चाहते हैं, उसी को चाहना चाहते हैं,
लेकिन उन सबका क्या जो अपने जीवन संघर्ष में मदद चाहते हैं,
शायद उनका पीड़ित होना भी हमारी इसी खोज का नतीजा है,
समाज ने निःसंकोच बना डाली स्त्रियाँ जो स्त्रियों से बैर कर सके, ताकि ये समाज चल सके।
अहम(मैं) से हम की ओर.......😊 #Save जल,जंगल,जमीन #सम्मान>समानता