मुस्कानें झूठी हैं..भाग-4

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26 Jul '24
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गतांक से आगे…

अचानक छीना झपटी में गोली चल गयी ,दोनों ने सामने देखा तो ज्योतिका के पेट से खून का फव्वारा फूट चुका था ,वॉचमैन की दुनाली से फायर होकर गोली सीधा ज्योतिका को जा लगी थी ,ऑंखें फाड़े ज्योतिका जमीन पर गिर के वहीं ढेर हो गयी

ज्योतिका की लाश को देख दोनों के होश उड़ गए ,वाचमैन ने मनोज को धक्का दिया ,वो सीधा डायनिंग टेबल के पास गिरा ,वाचमैन ने उसकी तरफ बंदूक तान ली ,अपने बचाव के लिए मनोज ने डायनिंग टेबल पर रखे फलों की टोकरी में से चाकू उठा लिया और उसको बंदूक नीचे रखने को बोला

लेकिन वॉचमैन घर में दो दो लाशों को देखकर और सामने हत्यारे को देखकर घबराया हुआ था

मनोज लड़खड़ाते कदमों से वाचमैन की तरफ बढ़ा

“देख भाई... मैं.. मैं कोई मर्डरर नहीं हूँ ... तुम्हें गलतफहमी हुई है”

“चाकू नीचे रख .. चाकू नीचे रख, मैं गोली चला दूंगा”

ये बात मनोज भी अच्छी तरह जानता था कि वॉचमैन बस अपने बचाव के लिए बोल रहा है ,वो कोई गोली नहीं चलाने वाला
वो निडर आगे बढ़ता रहा और जाके बन्दुक पकड़ झटके से दूर फेंक दी ,वॉचमैन ये देख बिना हथियार ही उससे भिड़ गया और मनोज के हाथ से चाकू छीनने लगा ,उसी हाथापाई के बीच वॉचमैन ने देखा मनोज एकदम रुक गया ,उसके मुँह से खून की उल्टी हुयी ,नीचे देखा तो चाकू मनोज के पेट में घुस चुका था। वॉचमैन ने चाकू खींचा तो चाकू के साथ ही खून का एक फव्वारा बह निकला। मनोज वहीं पेट पर हाथ रख खून को रोकने की नाकाम कोशिश करता हुआ गिर पड़ा...

वॉचमैन की ऑंखें फ़टी रह गयी और मुंह फाडे वो उसको वहीं तड़पता देखता रहा।
पिछले कुछ घंटों में घटे सारे दृश्य मनोज की आँखों में तैर गए.... वॉचमैन की वो रहस्यमयी मुस्कान और लड़की की पहली मुस्कान से लेकर आखिरी कुटिल हंसी...

बैकग्राउंड में गाना बजने लगा। ....
रात में ही जागते हैं
ये गुनाहों के घर
इनकी राहें खोलें बाँहें
जो भी आए इधर
ये है गुमराहों का रास्ता
मुस्कानें झूठी हैं
पहचानें झूठी हैं
रंगीनी है छाई
फिर भी है तन्हाई..

वॉचमैन के हाथों दो खून हो चुके थे इसलिए वो बदहवास सा हो गया ,मनोज को उठाने के लिए झकझोरने लगा लेकिन फिर नाक के आगे हाथ लगा के साँसे चेक कीं तो उसकी साँसें बंद हो चुकी थी ,वो घबराकर उठा और पीछे हटा लेकिन पीछे ज्योतिका की लाश से टकराकर गिरा...


चेहरे पर भय के भाव लिए वो बाथरूम की तरफ भागा लेकिन पीछे बाथटब वाले हिस्से का दरवाजा खोलकर देखा तो अंदर ज्योतिका के पति मनीष की लाश बाथटब में पड़ी थी ,उसके गर्दन में चाकू घुसा हुआ था ,पूरा बाथटब खून से लथपथ था..ये दृश्य देख वॉचमैन की चीख निकल गयी । धीरे-धीरे बाथटब खून से भरने लगा ,वॉचमैन के देखते ही देखते बाथटब खून से लबालब भर गया और फिर खून बाथटब से निकल बाहर बाथरूम के फर्श पर गिरने लगा और फर्श भी खून से भरने लगा...

 

कहानी जारी है…

Category:Stories



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Written by Shivam Tripathi

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