मुस्कानें झूठी हैं.. भाग-3

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25 Jul '24
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गतांक से आगे..

हाथ धुलने के बाद उसने हाथ पोंछने के लिए अपना रुमाल देखा तो याद आया कि वो रूमाल तो आंसू पोंछने के लिए ज्योतिका जी को दिया था..
लेकिन वहीं उसे वो J अक्षर वाला रुमाल दिखा जिसे उठाकर उसने हाथ पोंछने के लिए खोला तो उसके होश उड़ गए...
रुमाल पर बीच की तह में गाढ़ा गाढ़ा खून लगा हुआ था,जो अभी भी पूरी तरह से नहीं सूखा था..

“ज्योतिका जी !ज्योतिका जी !”
उसने आवाज लगाई

“हाँ क्या हुआ मनोज जी?”
किचन से बाहर आते हुए ज्योतिका ने पूछा

“ज्योतिका जी !ये ब्लड कैसा है रुमाल पर ?किसका ब्लड है ये ?”

"ये? ये उसी राक्षस का ब्लड है जिसकी हैवानियत का शिकार मैं रोज होती थी।
बोलते हुए ज्योतिका के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और चेहरे पर उसके एक कुटिल मुस्कान थी."

“क्या ?मतलब आपने अपने हस्बैंड की हत्या कर दी ?”
मनोज स्तब्ध था

“और क्या करती मैं ... मेरे पास और कोई चारा ही कहाँ छोड़ा था उसने? कल रात भी दारू पीकर आया मारने पीटने के अलावा मेरे ऊपर वहशी दरिंदे सा टूट पड़ा ,मेरे साथ सारी हदें पार कर दीं, सारा शरीर नोंच दिया ,मैंने निश्चय कर लिया था कि मैं इस नर्क से निकलूंगी और फिर मुझे ये कदम उठाना पड़ा..”

“तो इसका मतलब तुम किसी का मर्डर कर दोगी ? डोमेस्टिक वाइलेंस का केस कर सकती थी , ऍफ़ आई आर कर सकती थी ?”

“उससे क्या होता ?वो दरिंदा कुछ सालों में फिर से छूट जाता ,और फिर कोर्ट कचहरी का चक्कर ,उसकी वो शक्ल मुझे हर बार दिखती जिससे मैं नफरत करने लगी हूँ।”

“तो अब तो तुम भी जेल जाओगी न ,मर्डर करके तो तुमने भी अपनी जिंदगी खराब कर ली ,इसका कभी सोचा है ?ये तुमने गलत किया,किसी की हैवानियत का बदला हैवान बनकर नहीं लिया जाता।इसकी सजा तो तुम्हें मिलनी चाहिए.”
बोलकर मनोज मोबाइल निकाल कर 100 नम्बर डायल करने लगा

“मैं जेल नहीं जाउंगी ,उसके लिए भी मैंने कुछ सोचा है,इस नर्क से निकल के अब अपनी अच्छी जिंदगी शुरू करूंगी,तुम्हें क्या लगता है,मैं एक नर्क से निकलकर ऐसे ही किसी दूसरे नर्क में चली जाऊंगी?”
बोलते हुए ज्योतिका ने कुटिल मुस्कान से उसकी ओर देखा ,

“अरे मेरा सिर क्यों घूम रहा है ,ये.... ये क्या हो रहा है,मुझे ?क्या किया तुमने मेरे साथ?”
 

इससे पहले ज्योतिका अपनी बात खत्म कर पाती ,मनोज को चक्कर आने लगे,और वो अपना सिर पकड़कर वहीं टेबल पर बैठ गया
“ज्यादा कुछ नहीं ,बस थोड़ी सी बेहोशी की दवा मिला दी थी तुम्हारे खाने में..”
बोलते हुए ज्योतिका हंसी

“तुम्हारे जैसे दिलफेंक लोग हर जगह होते हैं जो आसानी से किसी के काम आ सकते हैं ,मैंने सोचा था कि तुम मेरे जस्टिफिकेशन को सुनकर समझोगे कि मुझे उस दरिंदे को क्यों मारना पड़ा ,अगर समझ जाते तो अच्छा रहता .. तुम्हारे लिए भी और मेरे लिए भी ,लेकिन नहीं ..तुम्हें तो आदर्शवादी बनना था..”अब जाना पड़ेगा न जेल ?अभी तुम्हारे बेहोश होने के बाद चाकू पर तुम्हारी उँगलियों के निशान होंगें और उसके बाद बाहर बैठा वॉचमैन गवाह होगा मर्डर का .."
बोलते हुए ज्योतिका ने अट्टहास किया

मनोज को समझ आया कि घर में उसने रूम फ्रेशनर और धूपबत्ती क्यों जला रखा था..अपने पति की लाश की बदबू छिपाने के लिए

“यू विच ! ब्लडी मर्डरर ,मैं तो तेरे को एक बेचारी समझ के हेल्प करने की सोच रहा था ,मुझे क्या पता था कि इस भोली सी सूरत के पीछे एक हत्यारा छुपा है ?मुझे जेल भेजेगी तू ?मुझे ?”

मनोज सिर पकड़ता हुआ कुर्सी से उठा और नशे की वजह से बंद होती ऑंखें जबरदस्ती खोलते हुए उसकी तरफ बढ़ा

“देखो वहीं रुक जाओ ?मैं कहती हूँ आगे मत बढ़ना ?वॉचमैन..वॉचमैन..”
डरते हुए वो चिल्लाने लगी

आवाज सुनकर वाचमैन बंदूक उठा अंदर दौड़ा ,अंदर आके देखा कि मनोज लड़खड़ाते कदमों से ज्योतिका की तरफ बड़ा रहा है ...

“भैया !भैया रोको इसे ,इस हत्यारे ने मनीष का खून कर दिया भैया..”

बोलते हुए ज्योतिका दहाड़ें मारकर रोने लगी

“ए वहीं रूक जाओ… वहीं रुक जाओ, मैं गोली चला दूंगा..”
मनोज की तरफ बंदूक तानते हुए वॉचमैन बोला

“ए.. ए भाई ,सुनो... सुनो मेरी बात तो सुनो,ये औरत है न.. ये..ये झूठ बोल रही है.”
लड़खड़ाती जुबान से वॉचमैन की तरफ बढ़ता हुआ मनोज बोला

“इसकी कोई बात मत सुनना भैया ,इसने पी रखी है ,पहले मनीष के साथ बैठ के इसने दारू पी ,फिर अपने पैसे मांगने के बहाने खून कर दिया ..अरे कोई पैसे नहीं दे पा रहा तो खून कर देगा क्या ?”
बोलते हुए अपना पूरा त्रियाचरित्र दिखाने लगी ज्योतिका

जब तक वॉचमैन उसकी बात सुन रहा था ,तब तक मनोज ने उसका थोड़ा सा ध्यान भटकने पर जाके उसकी बंदूक पकड़ ली

“ए... ए क्या कर रहा है?छोड़.. बंदूक छोड़..”

“भाई.. भाई गन नीचे रख दे.. गोली चल सकती है भाई .. ये औरत तुम्हें भी बेवकूफ बना रही है.”

और फिर..

अचानक छीना झपटी में गोली चल गयी ,दोनों ने सामने देखा तो ज्योतिका के पेट से खून का फव्वारा फूट चुका था ,वॉचमैन की दुनाली से फायर होकर गोली सीधा ज्योतिका को जा लगी थी ,ऑंखें फाड़े ज्योतिका जमीन पर गिर के वहीं ढेर हो गयी

ज्योतिका की लाश को देख दोनों के होश उड़ गए..

कहानी जारी है…

Category:Stories



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Written by Shivam Tripathi