बहन छोटी हो या बड़ी वो तो बहन होती है
वो भाईयों से बिना लड़े कहा रह पाती है
छोटी हैं तो यें दिन भर पक-पक कर जाती है
बड़ी हैं तो हमारे हर छोटी-बड़ी गलतियों को छिपा लें जाती हैं
यें पैसे ऐंठने में बड़ी तेज अगर गलती से भी लें लिया इनसे
सौ रुपए उधार चार बार वापस करनें के बाद भी इनके पचास रुपए बाक़ी ही रह जाते हैं
कहां आपने इन्हें अगर मोटी तो आपको लम्बू नाटे कहने में जरा सा न कतराती हैं
झगड़ा करना तो इनका दिनभर का काम
पर यक़ीन मानों यें गुस्सा आपसे दो घंटे भी न रह पाती है
वो खूब लड़ती है और झगड़ती है
मेरे हिस्से में भी अपना हक जताती हैं
हो अगर उसे कोई काम बड़े प्यार से वो भईया कहते नजर आती है
और न किया हमनें उसके काम वो बस फुला कर बैठ जाती हैं
पापा से हर बात वो कह सकतीं नहीं जो कर गए हम उनके मन की मनमानी
फिर उसके हिस्से का डांट भी हमें ही सुनाई जाती है
हम जो लाए परीक्षा में नब्बे प्रतिशत परिवार के तरफ़ से उपहार दिया जाता है
वो टाप भी कर जाए तो परिवार वाले चलों अब बस करो पढ़ना कह कर उसके सपनों को मार दिया करते हैं
यें दोहरा चरित्र देखकर तकलीफ हमें भी होती हैं
पर क्या करें कुछ कह सकते हम भी नहीं
पापा कहते हैं वो लड़की वो जौहरी के हीरे के सामान है
तुम ठहरें लड़के एक लोहार के लोहे के सामान
हीरे को जरा खरोंच आईं तो उसकी कीमतें कम हो जाती हैं
लोहे को तो हम कहीं पर भी रख दें उसपर आंच न आती है
यें दरिंदे ने जानें कैसे किसी के बहन के हैवानियत कर जातें हैं
हमें तो हमारे लिए तो सभी औरतें सिर्फ मां बहन ही नजर आती हैं
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