"सर दिव्या मैडम आई थी, वो आप से मिलना चाहती थी ।

"सर दिव्या मैडम आई थी, वो आप से मिलना चाहती थी ।

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18 Jul '24
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तब फिर दिव्या बोलती है । “हां यार मैं कैसे भुल सकती हूं ।”

तभी दिव्या का फोन बजने लगता है । वो बस इतना ही बोलती है । “ मां का कॉल है । मैं चलती हूं  ।”

 

और फिर तुरंत ही एक आटो में बैठ के वहा से चली  जाती है ।

 

अदवय थोड़ा शॉक्ड हो के देखता ही रहा जाता है ।

फिर थोड़ी देर बाद अदवय भी अपनी कार में बैठ जाता है । लेकिन अदवय के दिमाग़ में अभी भी अचानक दिव्या का जाना, वो भी सिर्फ एक कॉल आने पे ।

 

लेकिन फिर वो अपनी कार स्टार्ट कर वहा से अपने घर चला जाता है ।

 

जैसे ही अदवय अपने घर पहुंचता है । तो अदवय का एक नौकर अदवय के पास आ कर बोलता है ।

"सर दिव्या मैडम आई थी, वो आप से मिलना चाहती थी । लेकिन उन्हें बार–बार किसी का फोन आ रहा था । तब मैंने उन्हे आप के ऑफिस का एड्रेस दे दिया ।

 

 

फिर वो हड़बड़ाती हुई यह से चली गई । फिर वो नौकर  वहा से चुप चाप चला जाता है ।

 

 

फिर थोड़ी देर अदवय दिव्या के बारे में सोचता है । और फिर वहा से अपने रूम में चला जाता है ।

 

 

जैसे ही अदवय रूम में जाता है । तो अपनी हाफ जैकेट निकाल के बेड पे फेंक देता है । और तुरंत ही बॉथरूम में चला जाता है ।

 

 

बॉथरूम में जा के शावर ऑन कर के उसके नीचे खड़ा हो जाता है । लेकिन जब भी अदव्य अपनी आंखे बंद करता है । तो उसे सूर्या का ही मासूम सा चेहरा दिखता है । 

 

 

जिससे इरिटेट हो के अदवय दीवाल पे फिर अपने हाथ से एक पंच मार देता है । जिससे फिर से अदवय के चोट में से खून निकलने लगता है ।

 

 

फिर थोड़ी देर बाद बॉथरूम से बाहर आ जाता है । क्यूकि की उसके हाथ की पट्टी पूरी तरह से भीग गई होती है ।

 

 

तुरंत ही हाथ से पट्टी हटा देता है । और फिर गुस्से में और तेज आवाज़ में अपने एक नौकर को बुलाता है । शंभू जल्दी यहां आओ ।

 

 

तभी भागता हुआ ! एक आदमी वहा आता है ।और बोलता है । “हा जी सर ।”

 

 

जिसका नाम शंभू होता है । और तभी उस नौकर की नजर अदवय के हाथ पे जाती है ।

 

 

अदवय के हाथ से अभी भी खून निकल रहा होता है । तभी शंभू समझ जाता है । की अदवय सर ने उसे क्यू बुलाया होगा ।

 

 

लेकिन अदवय शंभू से बोलता है ।" जाओ मेरा खाना मेरे रूम में ले आओ । और मेरी कॉफी भी साथ में 10 मिनट में मुझे तुम या चाहिए ।

 

 

तब शंभू वहा से चला जाता है । और फिर अदवय अपने ड्रॉवर से  first aid box निकालता है । और अपने हाथ पे खुद ही बैंडेज करने लगता है ।

 

 

बैंडेज कर ही रहा होता है । की उसे ऑफिस में हुई बाते याद आ जाती है । वो प्यारा और मासूम सा सूर्या का चेहरा अदवय के सामने आ जाता है ।

 

 

अदवय सूर्या का चेहरा देख हल्का सा मुस्कुराने लगता है । तभी वहां शंभू के साथ दो और नौकर अदवय का खाना ले कर आ जाते है ।

 

 

दरवाजे के पास आकर जब शंभू दरवाजा खट– खटाता है । तो अदवय चिहक जाता है । 

 

 

क्यूकि हमारे अदवय बाबा तो सूर्या मैडम के खयालों में खोए  हुऐ थे ।

 

 

तब अदवय शंभू को अन्दर आने को बोलता है । फिर शंभू और उसके साथ के लोग अन्दर आ जाते है । फिर खाने को टेबल पर सजा देते है ।

 

 

फिर वो दोनो नौकर जो शंभू के साथ आए होते है । फिर वहा से चले जाते है ।

 

 

लेकिन शंभू सर झुकाए वही खड़ा होता है । तब अदवय आ कर सोफे पर बैठ जाता और खाना खाने लगता है ।

 

 

तभी अदवय एक नजर शंभू की तरफ देखता है । और फिर अदवय शंभू से पूछता है ।" क्या हुआ अगर कोई काम हो तो बोलो ।"

 

 

तब शंभू बोलता है ।"नही सर कोई काम नही है । बस आप को और कुछ चाहिए तो बता दीजिए ।"

 

 

तब अदवय बोलता है ।"नही अब मुझे कुछ भी नही चाहिए तुम जा सकते हो ।"

 

 

तब शंभू वहा से चला जाता है । और फिर अदवय भी खाना खा लेता है । और फिर थोड़ी देर बाद जब अदवय कॉफी पीने के लिए कप  उठता है । तो कॉफी एकदम ठंडी हो गई होती है ।

 

 

तभी अदवय गुस्से में चिल्लाता है ।"शंभू भू तभी भागता हुआ एक नौकर वहा आता है । अदवय बिना उस नौकर को देखे ही कॉफी का कप उसके ऊपर फेक देता है ।

 

 

तभी वो नौकर डरते हुए पूछता है ।"क्या हुआ सर । " तब अदवय उस नौकर की तरफ देखता है । तो बोलता है । " तुम शंभू कहा़ है ।" 

 

 

तब फिर वो नौकर बोलता है ।"सर वो कुछ काम कर रहे है । इसीलिए मैं आया, मैं अभी दूसरी कॉफी लाता हूं ।"

 

 

फिर अदवय गुस्से में बोलता है ।"नहीं चाहिए,जाओ यहां से ।"

 

 

फिर अदवय अपने लैटॉप पे काम करने लगता है । और फिर थोड़ी देर बाद जाके सो जाता है ।

 

 

अगले दिन सुबह सूर्या का घर ।

 

 

फिर अगले दिन सुबह करीब 8 बजे सूर्या के कमरे का दरवाजा खोलते हुऐ बोलती है । “अरे उठ जाओ दोनो सुबह हो गई है । ”

 

 

तभी सूर्या आधे नीद में बोलती है । "अरे मां बस 5 मिनट ।" बोल के फिर से सो जाती है ।

 

 

तभी फिर से सुमन जी बोलती हैं ।"अरे उठ जा सुबह के 8 बज रहे है ।

 

 

तभी झटके से उठ के सूर्या बोलती है ।"क्या! 8बज गया । फिर तुरंत ही उठ के वॉशरूम में भागते हुऐ बोलती है ।

“ हे शिव जी आज फिर लेट हो गए । आज तो प्रोफेसर शुक्ला मेरी जान ही ले लेगा ।”

 

 

फिर सुमन जी वहा से चली जाती है । थोड़ी देर बाद जब सूर्या वॉशरूम से बाहर आती है । हड़बड़ी में अपनी असैमेंट फाइल रूम में बेड पे ही भूल जाती है ।

 

 

जैसे ही सूर्या रूम से बाहर जाती है । तभी वहा शैली आ जाती है । और सूर्या की असाईमेंट फाइल देखती है । तो अपने साथ ले लेती है ।

 

 

लेकिन सूर्या को नहीं बताती है । और फिर दोनो हल्का सा नाश्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाती है ।

 

 

उनके पास स्कूटी न होने की वजह से उन्हें बस से कॉलेज जाना पड़ता है ।

 

 

देर तो हो जाती है । लेकिन दोनो प्रोफेसर के आने से पहले ही कॉलेज पहोंच जाती है ।

 

 

जैसे ही सूर्या और शैली कॉलेज के असेम्बली में पहोचति है । तो वहा असेम्बली में किसी को खड़े देखने को बहोत ही लोग एक जगह खड़े हुए होते है ।

 

 

सूर्या और शैली वहा जा ही रही होती है । की पीछे से तेज से आवाज़ आती है ।"दिव्या तुम ।"

 

 

अदवय की आवाज़ सुन के ही सब लोग अगल–बगल हट जाते है ।

 

 

लेकिन जब सूर्या दिव्या की तरफ देखती है । तो दिव्या वहा पिंक कलर के hot dress में होती जिसमे वो बहोत ही खूबसूरत लग रही होती है ।

 

 

लेकिन जब दिव्या की नजर सूर्या पर जाती है । तो दिव्या थोड़ी देर के लिए शॉक्ड हो जाती है । क्यूकि दिव्या अपने school की सबसे खूबसूरत लड़की थी ।

 

और आज उसने उससे भी खूबसूरत लड़की देख ली ।

 

To Be continue✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

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Written by Deepanjali Singh

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