शिव

कविता

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12 Jul '24
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                                          शिव

शिव की भक्ति , शिव ही शक्ति

शिव अमिट , अनंत , अविनाशी है 

शंकर शम्भू , हर - हर शम्भू 

शिव कैलाशो के वासी है

है महाकाल , भोले बाबा ,

शिव हर सत्ता के स्वामी है

वो डमरू वाले बाबा है ,

मन के भोले भंडारी है 

शिव आँख तीसरी खोले जो 

तो महाप्रलय छा जाता है

जब डमक -डमक डमरू बाजे

फिर कोई बच न पाता है

है जटा में बाँधी माँ गंगा

और सर्प कंठ में लपेट लिया 

मस्तक पर लिया चाँद सजा

और हाथो में त्रिशूल लिया 

सृष्टि की रक्षा को शिव ने 

भीषण हलाहल विष था पिया

और दक्ष का यज्ञ मिटाने को

फिर तांडव नृत्य प्रचंड किया

ऋषि मुनियों के खातिर शिव ने

गंगा के वेग को रोक दिया

ना लिया कभी कोई राजमहल 

पर्वत में था निवास किया |

शिव कण -कण में,शिव हर क्षण में

 शिव नाम जगत में छाया है

शिव की सृष्टि , शिव ही मुक्ति

शिव ही अंतिम माया है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Category:Poetry



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Written by Kanika Mehta

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