"शौर्य गाथा :पहलगाम के शूरवीर "

शहीदों को नमन

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29 Apr '25
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"शौर्य गाथा : पहलगाम के शूरवीर"

गरजा गगन, काँपे धरा, उठी रणभेरी तेज,
वीर चले तन, मन, धन वारें, कर दे दुश्मन क्षेज।

बिजली-से कौंधे भुजबल से, सिंहनाद भर उठे,
पहलगाम की घाटी गूँजी, जब रणवीर ललकार उठे।

शत्रु दलों के उड़े प्राण, भय से काँप उठी धरती,
रक्त बहा पर न झुके ध्वज, लिख दी वीरों ने मर्यादा नई।

भाले बनकर टूटी चट्टानें, तलवारों में ज्वाला थी,
हर एक वार में गूँज रही, भारत माँ की माला थी।

प्राण दाँव पर लगा दिए, फिर भी माथा ऊँचा रहा,
हर लाश बनी विजय पताका, रण में दीपक जलता रहा।

"आओ मृत्यु!" ललकार उठे, "रुके नहीं ये रणगति,
हर बूँद में है ज्वालामुखी, हर चीख बने जयविजय गाथा!"

शहीद हुए तो क्या हुआ, अमर हुए इतिहासों में,
पहलगाम के ये सूर्य बने, चमक रहे आकाशों में।

रक्त से सींचा वन्दन-वन, जननी का ऊँचा मान किया,
वीरों को कोटि-कोटि प्रणाम, जिन्होंने भारत का सम्मान किया।

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Category:Poem



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Written by Chandan Kumar

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