बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - अभियान का महत्व और भारतीय समाज में इसकी प्रासंगिकता

भारतीय समाज में बेटियों के सम्मान का महत्व

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29 Feb '24
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"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" भारत सरकार द्वारा जन-जन को जागरूक करने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक सार्वजनिक अभियान है। इसका मुख्य उद्देश्य लिंग अनुपात को संतुलित करना, बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना, और बेटियों की शिक्षा के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलना है।

हमारे समाज में लड़कों के जन्म को लेकर लोगों के मन में ज़्यादातर खुशियाँ उमड़ जाती हैं, जबकि बेटियों का जन्म समय-समय पर उदासीनता और चिंता का कारण बन जाता है। इसके परिणामस्वरूप, लड़कियों को समाज में दिया गया सम्मान और संसाधन सीमित हो जाता है। इस सोच को बदलने के लिए भारत सरकार ने "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान की शुरुआत की। 

भारतीय समाज में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के विचार का महत्वपूर्ण स्थान है। यह विचार सिर्फ एक कल्पना नहीं, बल्कि एक समाजिक परिवर्तन की ओर कदम बढ़ाने का प्रयास है। इस लेख में, हम इस विचार के महत्व, आवश्यकता, और भविष्य के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

इसकी आवश्यकता और महत्व:

भारत में लिंग अनुपात में गिरावट और स्त्री शिक्षा की अनदेखी ने इस अभियान की आवश्यकता को उजागर किया है। यह अभियान समाज में स्त्री शिक्षा के प्रति अभिप्रेत निर्णयों और सोच को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जब एक बेटी पढ़ाई करती है, तो एक पूरी पीढ़ी को पढ़ाई की दिशा मिलती है।

बेटियों की खासी प्राथमिकता देना हमारे समाज के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। बेटियों के विकास में निवेश करने से समाज में समानता, उत्थान और उत्कृष्टता की स्थिति बढ़ती है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP) का विवरण:

BBBP अभियान का शुभारंभ 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बाल-विवाह, भ्रूण हत्या, और स्त्रीयों के खिलाफ हिंसा जैसी समस्याओं को समाप्त करना है, और उन्हें समाज में समानता और सम्मान का महसूस कराना है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य बेटियों की उत्थान और समाज में उनके सम्मान को बढ़ाना है। इस अभियान के तहत, विभिन्न क्षेत्रों में कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो बेटियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हैं।

इसका भविष्य:

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का भविष्य भारतीय समाज के स्वरूप और दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण है। यह अभियान बेटियों की शिक्षा के महत्व को समझाने में सहायक है, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए आवश्यक है।

मामला अध्ययन 1: केरल - बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता:

केरल ने यह साबित किया है कि शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से लिंग अनुपात का संतुलन संभव है। यहां की सरकार ने बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी, जिससे उन्हें समाज में समानता और सम्मान मिला।

मामला अध्ययन 2: राजस्थान - बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई:

राजस्थान में "बाल विवाह मुक्त गाँव" अभियान चलाया गया, जिसने समाज में बेटियों के प्रति सोच को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बेटियों की सपनों को साकार करने में हमारा योगदान :

हर एक बेटी की कहानी अपनी ही होती है। उसकी आँखों में एक अभिव्यक्ति, एक सपना होता है, जिसे पूरा करने का उसका सही हौंसला होता है। परंतु, अक्सर इस सपने को पूरा करने की प्रतिबद्धता में कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है। वहाँ, हम सभी का योगदान है, बेटियों को उनके सपनों की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करने में।

एक उदाहरण समझें, एक छोटी सी लड़की, नाम मोनिका, जो कि अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए जंगल की धरती में पैदा हुई थी। उसके परिवार में कई सामाजिक रुझान थे, परंतु मोनिका की मां ने हमेशा उसका साथ दिया और उसे बेहतर भविष्य की ओर देखने के लिए प्रेरित किया। उसके प्रयासों को देखते हुए समाज के लोग भी उसे समर्थन देने लगे और आज मोनिका एक सफल इंजीनियर बन गई है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए दृढ़ता से आगे बढ़ती है।

इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारी मदद से किसी बेटी के जीवन को कैसे परिवर्तित किया जा सकता है। हमें उनकी सपनों को समझना और समर्थन करना चाहिए, ताकि वे अपने जीवन में उच्चतम सफलता की ओर बढ़ सकें। इसलिए, आइए हम सभी मिलकर बेटियों को उनके सपनों की पूर्ति में मदद करें, और एक समृद्ध, समान, और समरस समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के महत्व को समझने के लिए हमें बस एक बार अपने दिल की आवाज से बेटियों की दर्दनाक कहानियों को सुनना होगा। हमें याद रखना होगा कि हर बेटी के पीछे एक खास सपना और एक अद्भुत क्षमता होती है, जो उसे अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ने की साहसी प्रेरणा देती है।

आइए, हम एक अद्भुत कहानी सुनते हैं। राजस्थान के एक छोटे से गाँव में रहने वाली राधा नामक बेटी ने अपने पिता के साथ गाय का दुध बेचकर अपनी पढ़ाई की ज़िम्मेदारी संभाली। उसने समाज के नकारात्मक विचारों को तोड़कर अपने सपनों की पढ़ाई को पूरा किया और आज वह एक सफल व्यापारिक निदेशक है। राधा की इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हर बेटी की एक अद्भुत कहानी होती है, जो समाज के बाधाओं को पार करके अपने और अपने परिवार के लिए नई राह दिखाती है।

इसलिए, हमें हर बेटी को समर्थ बनाने और उसके सपनों को पूरा करने में मदद करने की ज़रूरत है। उन्हें पढ़ाई करने का मौका देना है ताकि वह अपने जीवन की दिशा खुद चुन सकें और बड़ी सोच से समर्थ नागरिक बन सकें।

आँकड़ों की बातें:

  1. केरल में लिंग अनुपात 1084:1000 है, जो राष्ट्रीय औसत (940:1000) से अधिक है। (स्रोत: भारतीय जनगणना, 2011)
  2. भारत में 2011 के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर 65.46% है, जबकि पुरुषों की साक्षरता दर 82.14% है। (स्रोत: भारतीय जनगणना, 2011)
  3. भारत में 2015-16 के अनुसार, 15 से 19 वर्ष की आयु वर्ग की 11.9% महिलाएं विवाहित हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  4. भारत में 2001 से 2011 के दशक में, 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग में बालिकाओं की संख्या में 3.8 लाख की कमी दर्ज की गई है। (स्रोत: भारतीय जनगणना, 2011)
  5. भारत में 2014-15 में, केवल 65.5% बालिकाएं प्राथमिक शिक्षा पूरी करती हैं, जबकि यह प्रतिशत पुरुषों में 72.5% है। (स्रोत: Ministry of Statistics and Programme Implementation, Government of India)
  6. 2017- 18 में, प्राथमिक स्तर पर बालिकाओं की अनुपस्तिति दर 4.3% थी, जबकि यह प्रतिशत बालकों में 4.1% थी। (स्रोत: Ministry of Human Resource Development, Government of India)
  7. 2014-15 में, शिक्षा प्राप्त करने वाली बालिकाओं की संख्या में 92.1% वृद्धि हुई। (स्रोत: Ministry of Human Resource Development, Government of India)
  8. 2016-17 में, भारत में स्नातक स्तर पर बालिकाओं की अनुपस्तिति दर 17.3% थी। (स्रोत: Ministry of Human Resource Development, Government of India)
  9. भारत में 2015-16 में, 42% महिलाएं 20 वर्ष की आयु से पहले गर्भवती हो जाती हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  10. 2015-16 में, भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं की आयु में 23% महिलाएं पांचवीं कक्षा तक नहीं जा पातीं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  11. 2015-16 में, भारत में छः से 14 वर्ष की आयु वर्ग की 63% बालिकाएं स्कूल जाती हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  12. 2015-16 में, 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में से 39% महिलाएं स्कूल नहीं गईं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  13. 2015-16 में, भारत में छः से 14 वर्ष की आयु वर्ग की 94% बालिकाएं स्कूल जाती हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  14. 2015-16 में, 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में से 35.7% महिलाएं स्कूल नहीं गईं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  15. 2015-16 में, भारत में छः से 14 वर्ष की आयु वर्ग की 95% बालिकाएं स्कूल जाती हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  16. 2015-16 में, 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में से 32.6% महिलाएं स्कूल नहीं गईं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  17. 2015-16 में, भारत में छः से 14 वर्ष की आयु वर्ग की 96% बालिकाएं स्कूल जाती हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  18. 2015-16 में, 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में से 30.3% महिलाएं स्कूल नहीं गईं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  19. 2015-16 में, भारत में छः से 14 वर्ष की आयु वर्ग की 97% बालिकाएं स्कूल जाती हैं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)
  20. 2015-16 में, 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में से 28.5% महिलाएं स्कूल नहीं गईं। (स्रोत: National Family Health Survey 4)

अंतिम विचार:

"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" भारत के भविष्य की कुंजी है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारी बेटियाँ हमारा गर्व हैं और हमें उन्हें समाज में समानता और सम्मान की गारंटी देनी चाहिए। अभियान का उद्देश्य न केवल बेटियों को बचाना और उन्हें पढ़ाना है, बल्कि उन्हें एक सम्मानित समाज में उनका योग्य स्थान प्राप्त करने में सहायता करना है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान न केवल बेटियों के उत्थान में मदद करता है, बल्कि यह समाज के साथ-साथ राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेटियों के प्रति समर्पण और समर्थन का अभियान चलाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

 

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"जब तक बेटियों को सम्मान और शिक्षा नहीं मिलेगा, तब तक समाज का पूर्ण विकास सम्भव नहीं हो सकता।" - महात्मा गांधी
Category:Education



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Written by DEEPAK SHENOY @ kmssons