मातृ शक्ति को नमन

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25 May '24
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मातृ शक्ति को नमन हैं ,
क्यों न हो ,
सुबह की पहली “ऊषा”
की शुरुआत से 
मंदिर मे प्रथम “गौरी” गणेश प्रणाम 
आफिस जाते ही प्रथम “पार्बती” स्वागतम प्रणाम , 
अधिकारी “लक्ष्मी” से कार्य लेकर “भावना” को देकर
दोपहर भोजन करने घर आना
कामवाली “कमला” से टकराकर
भोजन बनाने वाली “अन्नपूर्णा” से मिलना 
शाम हो गई “संध्या” राह पर खड़ी ,
रात को सपने मे “सपना” “मिली”
रात दिन की अजब-गजब “माया”
ईश्वरीय रुप में हैं “दया”
करती हैं सदैव “करुणा”
रखती सबका ध्यान ,
“स्नेह – लता” बनकर 
हमारी “श्रध्दा” भाव के साथ
“पूजा” – “अर्चना”, “जयमाला” आपको ,
“खूशी” रहे आप आनंदी रहकर ,
घर “संस्कृति” की “चेतना” देकर ,
“दर्शना” बनकर “ममता”रहे सदा 
इसलिए कहते मातृशक्ति को 
नमन ।
स्व-लिखित / मौलिक 
-    राजू गजभिये (सीताराम)

 

 

 

 

 

Category:Poem



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Written by Raju Gajbhiye

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