जब गांव से निकल कर शहर में अपना भविष्य बनाने के लिए आते है
तो सबसे पहली जरूरत..
कमरा
और कमरा मिलना इतना आसान भी नही है
जिस घर में लेने जाओगे वहा आपको ऐसे ऐसे सवालों से गुजरना पड़ेगा
जैसे आपका साक्षात्कार चल रहा हो।
कहा से आए हो...पूरा नाम क्या है? नॉनवेज तो नही खाते? आईडी दिखाओ?किस चीज की तैयारी करोगे?
जब इन सब से संतुष्टि मिल जाएगी तब बात आयेगी किराए की।
अगर बिजली का बिल रूम रेंट के साथ है तो आपसे कुछ शर्ते रखी जाएंगी जो आपको माननी ही है..
प्रेस का उपयोग नही करोगे। रात में 11 बजे के बाद बल्ब बंद हो जाना चाहिए
हीटर का उपयोग नही करोगे , मोटर इतने समय से इतने समय तक चलेगी उसी में आपको पानी भर लेना नही तो फिर दोबारा नही चलाई जाएगी...
रूम पर कोई लड़की नही आयेगी परिवार का भी कोई आएगा तो मुझे बताना पड़ेगा उसकी आईडी लगेगी
ऐसे ही 10 तरह की अपनी शर्ते रखी जाएंगी। जिसमे आपको हां में ही सर हिलाना है
क्युकी कमरा तो लेना ही है।
हम लोग भी मन ही मन सोचते है कि एक बार कमरा मिल तो जाए
फिर जो हम चाहेंगे वही करेंगे।
खैर जब ये पड़ाव भी आप पार कर लोगे, तब आपको कमरा दिया जाएगा।
अब कमरा तो मिल गया सामान भी रख गया
अब बात आयेगी की कौन सा काम कौन करेगा
ये पहले से ही डिसाइड करना इसलिए जरूरी हो जाता है.ताकि आपसी मनमुटाव न हो।(लेकिन कभी ये नियम चल नहीं पाता है)
दोस्तो के बीच कैसा नियम, सुसज्जित शब्दो के उपयोग से ही फिर सारे काम होते है
जिन्हे समाज की भाषा में गाली कहा जाता है
दरअसल वो दोस्तो के बीच शक्तिवर्धक कार्य के प्रति सजग रहने और त्वरित कार्य करने की क्षमता को बढ़ाती है
मेरे जैसे लाखो युवा इन्ही सब से गुजर कर अपनी अपनी मंजिल तक पहुंचते है।
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